मुंबई, 12 जून (Udaipur Kiran) गडचिरोली जिले के एटापल्ली के सुरजागढ़ क्षेत्र में लौह खनन परियोजना के लिए 1 लाख पेड़ों के काटे जाने की अनुमति देने की खबरों का वन विभाग ने खंडन किया है। सफाई दी गई है कि परियोजना के लिए एक बार में या अनियंत्रित तरीके से पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं दी गई है, बल्कि पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करते हुए चरणबद्ध तरीके से काम करने की नीति अपनाई गई है। यहां राज्य सरकार 1 करोड़ और लॉयड्स मेटल्स कंपनी 11 लाख पेड़ लगाएगी।
भामरागढ़ वन क्षेत्र के उप वन संरक्षक शैलेश मीना के अनुसार सुरजागढ़ परियोजना के लिए एक लाख पेड़ों के काटे जाने की अफवाह पूरी तरह से झूठी है। पेड़ों की एकमुश्त या अनियंत्रित कटाई की अनुमति नहीं है. पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए चरणबद्ध तरीके से काम करने की नीति अपनाई गई है। लॉयड्स मेटल्स कंपनी को सख्त पर्यावरण सुरक्षा उपायों के साथ चरणबद्ध तरीके से काम करने की अनुमति मिली है। इसमें कहीं भी 1 लाख पेड़ों की कटाई का उल्लेख नहीं है। लगभग 937.077 हेक्टेयर में फैली यह परियोजना 3 चरणों में आगे बढ़ेगी. प्रत्येक चरण के लिए अनुपालन जांच के बाद केंद्र सरकार से अलग से मंजूरी की आवश्यकता होगी। आवश्यकतानुसार पेड़ों की कटाई की जाएगी। इसका खर्च पूरी तरह से परियोजना कंपनी उठाएगी। नए पेड़ लगाकर नुकसान भरपाई की जाएगी। पहले चरण में केवल 500 हेक्टेयर (300 हेक्टेयर आधारभूत संरचना और 200 हेक्टेयर टेलिंग यार्ड) के उपयोग की अनुमति होगी। पहले चरण के संतोषजनक अनुपालन के बाद ही दूसरे चरण में 200 हेक्टेयर का उपयोग किया जाएगा। तीसरे चरण में अंतिम समीक्षा के बाद ही शेष 237.077 हेक्टेयर का उपयोग करने की अनुमति होगी।
केंद्र सरकार ने एटापल्ली क्षेत्र में निम्न श्रेणी के हेमेटाइट क्वार्टजाइट की वैज्ञानिक खोज और व्यवस्थित पुनर्प्राप्ति के लिए 937.077 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग करने के लिए ‘सैद्धांतिक’ मंजूरी दी गई है। इसके लिए चरणबद्ध और सीमित तरीके से कुछ पेड़ों की कटाई अनिवार्य और सख्त नियंत्रण में होने पर ही की जाएगी। पेड़ों की कटाई केवल निर्माण के लिए आवश्यक निर्मित क्षेत्रों में की जा सकती है। अन्य क्षेत्रों में ऐसा तभी किया जा सकता है जब यह अपरिहार्य हो और वह भी केवल संबंधित वन संरक्षक की अनुमति से। वन पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ने वाले प्रभाव की भरपाई के लिए गडचिरोली क्षेत्र में अन्य स्थानों पर पेड़ लगाकर पारिस्थितिकी बहाली के काम किए जाएंगे। इसकी विस्तृत योजना अगले चरण के कार्य से पहले प्रस्तुत करनी होगी। कुल 3 चरण हैं तथा प्रत्येक चरण के लिए केन्द्र सरकार से अलग से अनुमति लेनी होगी। केंद्र सरकार की अनुमति पूर्ण रूप से नहीं दी गई है। पूरा कार्यक्रम योजना को चरणों में प्रस्तुत करना अनिवार्य है।
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(Udaipur Kiran) / वी कुमार
