– 21 साल पुराने मुकदमे में 14 में दाे आराेपिताें काे काेर्ट ने साक्ष्याें के आभाव में किया बरी
जालौन, 17 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । शासकीय अधिवक्ता महेन्द्र सिंह विक्रम ने गुरुवार काे बताया कि जिला झांसी थाना ककरबई ग्राम धनौरा निवासी विजय पाल सिंह ने 1981 में उसके पिता तेजप्रताप सिंह की गांव के ही रहने वाले प्रमोद मिश्रा ने कर दी थी। 1999 में उसके भाई जितेंद्र प्रताप ने प्रमोद कुमार मिश्रा की हत्या कर दी।
इसी रंजिश के कारण 27 जून 2003 को वह स्वयं उसका भाई जितेंद्र प्रताप तथा महिपाल इंद्रपाल व शत्रुघ्न सिंह, रामपाल ताश खेल रहे थे। तभी गांव के सुरेश कुमार मिश्रा, संतोष, ओम प्रकाश, दृगचंद्र, गोरेलाल, नत्थू, मूलचंद्र, मन्नू लाल, बद्री सिंह, कल्लू सिंह, भूरी सिंह, शिवन पाल हाथों में असलहा ललकारते हुए दरवाजे पर पहुंचे और सुरेश मिश्रा ने उसके भाई जितेंद्र प्रताप पर ताबड़तोड़ अन्य साथियों के साथ फायरिंग की। इस हमले में उसके सगे भाई जितेंद्र प्रताप उर्फ गुड्डू व महिपाल सिंह की मौत हो गई थी। पुलिस ने 14 लोगों पर हत्या सहित अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना शुरू की। इस मामले में सभी 14 हत्याराेपियाें काे पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। घटना में सुरेश मिश्रा, संतोष, ओम प्रकाश, दृगचंद्र, गोरेलाल, बालादीन, नत्थू, मूलचंद्र, नत्थू अहिरवार, मन्नूलाल, बद्रीसिंह, कल्लू सिंह, भूरीसिंह, शिवनपाल आदि लोगों के खिलाफ कोर्ट में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की। सभी आरोपियों ने हाईकोर्ट से जमानत ले ली थी। जिससे सभी आरोपी जमानत पर चल रहे थे।
शासकीय अधिवक्ता महेन्द्र सिंह विक्रम ने बताया कि ट्रायल के दौरान आरोपियों ने जिला जालौन में निवास बना लिया था। सभी आरोपियों ने मुकदमे को जिला झांसी से उरई ट्रांसफर करने के लिए हाईकोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट के आदेश से जिला न्यायालय उरई के मुकदमे का ट्रायल चल रहा था। 21 साल पुराने मुकदमे की सुनवाई गुरुवार को पूरी हुई। दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस और गवाहों के बयान व सबूतों के आधार पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम शिवकुमार ने पत्रावली का अवलोकन किया और 82 पन्नों का आदेश पढ़कर सुनाया। काेर्ट ने आदेश में हत्या के मामले में संतोषी को दोषी पाते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई और 65500 रुपये जुर्माना लगाया। वही नत्थू को जानलेवा हमले में दोषी पाते हुए दस साल की सजा सुनाई और सुरेश मिश्रा व ओमप्रकाश के खिलाफ कोई सबूत नहीं पाए जाने के कारण दोष मुक्त कर दिया। शेष आरोपियों को दो ओर तीन-तीन साल की सजा सुनाई गई। साथ ही सभी आरोपियों पर कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया है।
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(Udaipur Kiran) / विशाल कुमार वर्मा