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उदयपुर: रास्ते में महिला ने दिया बच्चे को जन्म, पीएचसी पर ताला, छह घंटे बरामदे में तड़पती रही प्रसूता

गोगुंदा उपखंड के नांदेश्मा पीएचसी पर लगा ताला।

उदयपुर, 27 अप्रैल (Udaipur Kiran) । स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का शर्मनाक चेहरा उदयपुर जिले के गोगुंदा उपखंड में सामने आया, जहां एक महिला को रास्ते में प्रसव के बाद इलाज के लिए पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र) पहुंचने पर दरवाजे पर ताला लटका मिला। दर्द से कराहती महिला और नवजात को पीएचसी के बरामदे में छह घंटे तक बिना किसी चिकित्सकीय सहायता के इंतजार करना पड़ा।

घटना गोगुंदा उपखंड के नांदेश्मा पीएचसी की है।

चलवा गांव निवासी लेरकी ने बताया कि रविवार अलसुबह उसकी पत्नी कमलेश गमेती को अचानक प्रसव पीड़ा हुई। परिवार के लोग तत्काल निजी वाहन से उसे नांदेश्मा पीएचसी ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही प्रसव हो गया। नवजात के जन्म के बाद गंभीर स्थिति में जब वे पीएचसी पहुंचे तो वहां न डॉक्टर मिला, न कोई स्टाफ। मुख्य दरवाजे पर ताला लगा देख परिजन सन्न रह गए।

परिजनों ने बताया कि अलसुबह करीब चार बजे से सुबह नाै बजे तक उन्हें अस्पताल के बरामदे में ही रुकना पड़ा। इस दौरान प्रसूता को संभालने के लिए गांव की एक महिला ने नवजात की नाल काटी और प्राथमिक देखभाल की। आर्थिक तंगी के कारण परिजन महिला और बच्चे को वापस घर भी नहीं ले जा सके, क्योंकि दोबारा पीएचसी आने के लिए किराए के पैसे नहीं थे।

घटना के बाद ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया।

परिजनों और ग्रामीणों ने सवाल उठाए कि अगर समय पर डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मी उपलब्ध होते, तो प्रसूता और नवजात की जान को इस तरह का खतरा नहीं उठाना पड़ता।

सूचना मिलने पर खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी (बीसीएमओ) डॉ. दिनेश मीणा मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि पीएचसी में तैनात चिकित्सक डॉ. प्रवीण कुमार के अवकाश की कोई पूर्व सूचना विभाग को नहीं दी गई थी। ग्रामीणों के विरोध के बाद सीएमएचओ ने बीसीएमओ को स्टाफ की अनुपस्थिति को लेकर जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही अनुपस्थित कर्मचारियों पर कार्रवाई की भी बात कही गई है।

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(Udaipur Kiran) / रोहित

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