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
वाराणसी,06 नवम्बर (Udaipur Kiran) । चार दिवसीय लोक उपासना के महापर्व डाला छठ में दूसरे दिन बुधवार को महिलाओं ने पूरे दिन व्रत रख छठ माता की आराधना की। भोर से इस व्रत की शुरुआत हुई। दिन भर निर्जला उपवास रखने के बाद व्रती महिलाओं ने परिजनों के साथ शाम को स्नान के बाद छठी मइया की पूजा विधि-विधान से की। इसके बाद छठी मइया को रसियाव, खीर, शुद्ध घी लगी रोटी, अरवा चावल, गुड़ और दूध मिश्रित बखीर, केला का भोग लगाया। इसके बाद इस भोग को स्वयं ग्रहण (खरना) करने के बाद परिजनों में प्रसाद स्वरूप बांटा। खरना के बाद व्रती महिलाओं ने घर और शुभचिंतक परिवार की सुहागिनों की मांग भर उन्हें सदा सुहागन रहने का आशीष दिया। इसके साथ ही व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निराजल कठिन व्रत शुरू हो गया। व्रती महिलाएं गुरुवार शाम छठ मइया के गीत गाते हुए सिर पर पूजा की देउरी रख गाजे-बाजे के साथ सरोवर, नदी गंगा तट पर जाएंगी और समूह में छठ मइया की कथा सुन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर घर लौटेंगी। शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रत का पारण करेंगी।
पर्व पर वेदी को सजाने का कार्य भी परिजनों ने पूरा कर लिया है। सामनेघाट से लेकर भैंसासुर घाट,बरेका सूर्य सरोवर तक वेदिकाएं बनाकर जगह घेर दिया है। गंगा और वरुणा तट पर पर जहां भी व्रती महिलाओं के परिजनों को जगह मिली, वहीं वेदी बनाया है। तीसरे दिन संध्या अर्घ्य के समय भगवान भाष्कर को विशेष प्रकार का पकवान “ठेकुवा” और मौसमी फल चढ़ाया जायेगा। उधर,महापर्व पर जिले के शहरी और ग्रामीण अंचल में पारंपरिक और आधुनिक दोनों प्रकार के गीत गूंज रहे हैं। हालांकि आज भी छठ के पारम्परिक गीत ‘केरवा के पात पर, उगs हो सूरज देव भईल अरघ के बेर’, केरवा जे फरले घउद में ता पर सुग्गा मंडराए, मरबऊ रे सुगवा धनुख से सुगा गिरे मुरझाए’,हम तोहसे पुछिले बरतिया करेलू छठ बरतिया से केकरा लागी आदि गीत व्रती महिलाओं और उनके परिजनों में खासे लोकप्रिय हैं।
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी
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