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लोहड़ी पर्व पर सद्गुरु मधुपरमहंस जी महाराज ने संगत को अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा से निहाल किया

लोहड़ी पर्व पर सद्गुरु मधुपरमहंस जी महाराज ने संगत को अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा से निहाल किया

जम्मू, 13 जनवरी (Udaipur Kiran) । साहिब बंदगी के सद्गुरु मधुपरमहंस जी महाराज ने आज लोहड़ी, पूर्णिमा अवसर पर राँजड़ी में एक भव्य सत्संग के दौरान देश के कौने कौने से आई संगत को अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा से निहाल करते हुए कहा कि एक ताकत है, जो इस ब्रह्माण्ड को चला रही है। अभी वैज्ञानिक भी इस पर रिसर्च कर रहे हैं। आप अपने शरीर को देखें तो पता चलेगा कि आपके शरीर के छोटे-छोटे अंगों को बनाने वाला कोई कारीगर है। यह सब स्वाभाविक नहीं है।

साहिब जी ने कहा कि इस दुनिया में दो तरह के नास्तिक हैं। एक वो है जो ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानता है। वो बालक के समान है। उसको समझाओ तो वो समझ जायेगा। दूसरा महानास्तिक है। वो कहता है कि मैं सबको मानता हूँ।

हमारे यहाँ परमात्मा को लेकर चार विचारधाराएँ हैं। ऋग्वेद परमात्मा को निराकार मानता है। यही निराकार मुस्लिम भी कह रहे हैं। यही निराकार ईसाई भी कह रहे हैं। यजुर्वेद के अनुसार परमात्मा साकार है। तीसरी मान्यता दुनिया में है कि आत्मा ही परमात्मा है। उदाहरण के लिए बुद्ध धर्म में कहीं भी परमात्मा का उल्लेख नहीं है। केवल आत्मा का उल्लेख है। चौथी मान्यता है कि कर्म ही धर्म है। मनुष्य जो कर्म करता है, उसका फल उसे प्राप्त होता है।

फिर परमात्मा कहाँ है, यह भी बड़ा सवाल है। सबने परमात्मा को अपने अन्दर कहा। परमात्मा की बात तो दूर की है, यह मनुष्य अपने को ही नहीं समझ पा रहा है।

कुछ कहते हैं कि यह स्वाभाविक बना। कुछ कहते हैं कि पहले केवल जल के जीव थे। धीरे धीरे रेंगते रेंगते धरती पर मनुष्य बना। यह बिलकुल गलत है। उसके बाद किसी ने देखा क्या कि कोई जल का जीव रेंगते रेंगते इंसान बना हो। इसका मतलब है कि कोई एक परमात्मा है, जिसने सबको बनाया।

इंसान पानी पर भी जिंदा रह सकता है। पर उसकी उर्जा उतनी नहीं होगी। वायु पर भी जिंदा रहा जा सकता है। भोजन का आधार पृथ्वी है। पृथ्वी का आधार पानी है। जल दो वायुओं का मिश्रण है। वायु का आधार आकाश है। आकाश तत्व का आधार शून्य है। इसलिए वैज्ञानिक भी अभी मान रहे हैं कि ब्लैक होल ही सृजन का आधार है।

(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा

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