– विकास की राह में पिछड़ रहा प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण उत्तराखंड, ग्रीन बोनस से होगी भरपाई
– राज्यसभा सासंद ने सदन में उठाया मुद्दा, बोले- औद्योगिक पैकेज भी बहाल करे केंद्र सरकार
– राज्य की आबादी आठ करोड़ से अधिक मानते हुए इसके अनुपात में दें आर्थिक सहायता
देहरादून, 02 अगस्त (Udaipur Kiran) । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय सह-कोषाध्यक्ष एवं राज्यसभा सासंद डॉ. नरेश बंसल ने शुक्रवार को राज्यसभा में शून्यकाल में उत्तराखंड से संबंधित गंभीर एवं जनहित का मुद्दा उठाया। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि राज्य की आबादी आठ करोड़ से अधिक मानते हुए इसके अनुपात में आर्थिक सहायता और योजनाओं का लाभ दें। ग्रीन बोनस दें और औद्योगिक पैकेज भी बहाल करे।
राज्यसभा सासंद डॉ. नरेश बंसल ने सदन में कहा कि उत्तराखंड एक हिमालयी राज्य है। उत्तराखंड राज्य अटल बिहारी वाजपेयी ने दिया है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी निरंतर उसे संवारने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चारधाम पुर्ननिर्माण हो या आल वेदर रोड, एयर कनेक्टिविटी हो अथवा रोड-रेल कनेक्टिविटी आदि तमाम योजनाओं का लाभ मोदी सरकार में उत्तराखंड को मिल रहा है।
डॉ. नरेश बंसल ने कहा कि उत्तराखंड समेत हिमालयी राज्यों की भौगोलिक परिस्थिति देश के बाकी राज्यों से अलग है। यहां एक ओर प्राकृतिक सौंदर्य, संपदा की बहुतायत है व पर्यावरण स्वच्छ है तो दूसरी तरफ विषम समस्या भी है। उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्यों के सतत् विकास के लिए स्वतंत्र नीति बनाने की मांग लंबे समय से चल रही है। हिमालयी राज्यों की भौगोलिक परिस्थितियां देश के अन्य हिस्सों से अलग है। विषम भौगोलिक हालात की वजह से यहां विकास काफी प्रभावित होता है। योजनाओं को पूरा होने में समय लगता है। कई परियोजनाएं लंबे समय से लटकी पड़ी हैं। जो कार्य मैदानी जिलों में सहजता से हो जाता है वह पर्वतीय राज्यों में श्रम व आर्थिक लिहाज से काफी मुश्किल हो जाता है। पर्वतीय राज्यों की भौगोलिक और सामाजिक संरचना के अनुसार विकास की पृथक नीति बननी अति आवश्यक है। उत्तराखंड इस मुद्दे को शुरू से उठाता रहा है।
नरेश बंसल ने सदन को बताया कि राज्य की सामान्यतः आबादी 1.20 करोड़ है, लेकिन पर्यटन, धार्मिक यात्राओं, पर्व-त्योहार पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को जोड़ा जाए तो यह आठ करोड़ से भी ज्यादा हो जाती है। राज्य की इतनी बड़ी आबादी के लिए बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करनी होती है। दूसरी ओर पिछले एक दशक से अधिक समय से उत्तराखंड देश को अपनी पर्यावरणीय सेवाओं के लिए केंद्र सरकार से विषेश पैकेज एवं ग्रीन बोनस की मांग करता रहा है। उत्तराखंड का वनाच्छादित क्षेत्र, ग्लेशियर, सदानीरा नदियां उत्तराखंड से ज्यादा लाभ देश के अन्य भागों को देती है। वैश्विक पर्यावरण पर भी इसका असर पड़ता है। एक आंकलन के अनुसार उत्तराखंड हर वर्ष अपनी जैव विविधता के जरिए देश को 95 हजार 112 करोड़ रुपये की सेवाएं देता है। जहां उत्तराखंड के पास इतनी प्राकृतिक संपदा हैं, वहीं विकास की राह में वह पिछड़ रहा है। इसकी भरपाई ग्रीन बोनस से ही बनती है।
डॉ. बंसल ने कहा कि उत्तराखंड को विषेश पैकेज जो अटल बिहारी वाजपेयी ने दिया था वो तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बंद कर दिया। उत्तराखंड में तेजी से औद्योगिकीकरण हो सकता है अगर यह प्रोत्साहन मिले तो। उत्तर-पूर्व के राज्यों की तरह ही उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति है। उन्हीं की तर्ज पर विषेश पैकेज उत्तराखंड को दिया जाना चाहिए।
(Udaipur Kiran)
(Udaipur Kiran) / कमलेश्वर शरण / प्रभात मिश्रा