नाहन, 6 सितंबर (Udaipur Kiran) ।जिला मुख्यालय नाहन में नेपाली हिंदू समुदाय से जुड़े हरितालिका तीज को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। तीन दिन तक चलने वाले उपवास के पहले दिन सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए निर्जल व्रत रखा. इस व्रत में महिलाएं पानी तक नहीं पीयेंगी। अगले दो दिन सुहागिनें पंचमी तक फलाहार कर व्रत का पालन करेंगी। हरतालिका तीज व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। इस विशेष दिन पर गौरी-शंकर की पूजा करने का विशेष महत्व होता है।
शास्त्रों के अनुसार तीज में सुहागिन महिलाएं अपने श्रृंगार का दान करती हैं। इसके पीछे कारण यह है कि इससे उनका श्रृंगार और सौभाग्य अखंड बना रहता है। इससे उन्हें सदा सुहागन का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य प्रभाव से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है।
नाहन में नेपाली सुहागिनें वैवाहिक सुख का प्रतीक लाल साड़ी, चूड़ियां और अन्य श्रृंगार कर इस तीज उत्सव को पारंपरिक तरीके से मना रहीं हैं। दरअसल, तीज त्योहार की तैयारियों के लिए महिलाएं और लड़कियां कई सप्ताह तक तैयारी करती हैं7 तीज पर्व की सबसे खास विशेषताओं में से एक है लाल पोशाक, जिसमें महिलाएं खूबसूरत लाल साड़ी, चूड़ियां और अन्य श्रृंगार करतीं हैं। तीज के दिन महिलाएं चांद निकलने तक अन्न-जल त्याग कर व्रत रखती हैं। इस व्रत को अपने पति के प्रति प्रेम और प्रतिबद्धता दिखाने का तरीका माना गया है। नेपाल की तरह भारत में रह रहे नेपाली हिंदू इस उत्सव को गहरी श्रद्धा और उत्साह के साथ मना रहे हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को ईमानदारी से करने से शादीशुदा जीवन लंबा और खुशहाल होता है। यह एक ऐसा दिन है जब महिलाएं देवी पार्वती के प्रति अपने प्रेम व भक्ति को व्यक्त करने और अपने रिश्तों का जश्न मनाने के लिए एक साथ आती हैं। यह उत्सव न केवल सांस्कृतिक जड़ों को गहरा करता है, बल्कि परिवार और समुदाय के बंधनों को भी मजबूत बनाता है। तीज नेपाल के लोगों की चिरस्थायी परंपराओं, संस्कार और चिरस्थायी भावना का एक जीवंत प्रमाण है।
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(Udaipur Kiran) / जितेंद्र ठाकुर