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जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल की शक्तियों का दायरा बढ़ा, उमर अब्दुल्ला ने जताया ऐतराज

श्रीनगर, 13 जुलाई (Udaipur Kiran) । जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल को पुलिस और आईएएस एवं आईपीएस जैसी अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों से संबंधित फैसले लेने तथा विभिन्न मामलों में अभियोजन की मंजूरी देने के लिए और शक्तियां सौंपी गई हैं। उप राज्यपाल एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) से संबंधित मामलों के अलावा महाधिवक्ता और अन्य न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में भी फैसले ले सकते हैं। वहीं केंद्र सरकार के इस फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। अब्दुल्ला ने कहा कि इस फैसले सो तो नए मुख्यमंत्री “शक्तिहीन” हो जाएंगे।

उमर अब्दुल्ला ने एक्स पोस्ट में कहा कि केंद्र सरकार के इस फैसले से यह एक और संकेत मिलता है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव नजदीक हैं। यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण, अविभाजित राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए समयसीमा निर्धारित करने की दृढ़ प्रतिबद्धता इन चुनावों के लिए एक शर्त है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग एक शक्तिहीन, रबर स्टाम्प मुख्यमंत्री से बेहतर के हकदार हैं जिसे अपने चपरासी की नियुक्ति के लिए उप राज्यपाल से भीख मांगनी पड़ेगी।

इसी बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता कविंदर गुप्ता ने कहा कि बदलाव जरूरी हैं। आने वाले दिनों में विधानसभा के चुनाव होने हैं और उसे देखते हुए उपराज्यपाल की शक्तियां बढ़ा दी गई हैं। बदलाव जरूरी हैं और उन्हें होना चाहिए। इसे देखते हुए गृह मंत्री ने फैसला लिया है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए यह कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में हम सभी ने देखा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने बड़े उत्साह के साथ मतदान किया। इस फैसले के बाद प्रशासन में सक्रियता आएगी। मुख्यमंत्री के शक्तिहीन हो जाने संबंधी उमर की टिप्पणी पर गुप्ता ने कहा कि कानून-व्यवस्था पहले से ही केंद्रीय गृह मंत्रालय के नियंत्रण में है। इस मुद्दे पर टिप्पणी करना सही नहीं है। उन्हाेंने कहा कि पहले जम्मू-कश्मीर के हालात अच्छे नहीं थे लेकिन अब सरकार ने यहां कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाया है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के तहत जारी नियमों में संशोधन कर शुक्रवार को उप राज्यपाल को और शक्तियां दीं। इससे जुड़ी अधिसूचना में कहा गया है कि पुलिस, लोक व्यवस्था, अखिल भारतीय सेवा और भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो के संबंध में वित्त विभाग की पूर्व सहमति की आवश्यकता वाले किसी भी प्रस्ताव को तब तक स्वीकार या अस्वीकार नहीं किया जाएगा, जब तक कि इसे मुख्य सचिव के जरिए उप राज्यपाल के समक्ष नहीं रखा जाता है। प्रशासनिक सचिवों की पदस्थापन और स्थानांतरण तथा अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के पदों से संबंधित मामलों के संबंध में प्रस्ताव मुख्य सचिव के जरिए सामान्य प्रशासन विभाग के प्रशासनिक सचिव द्वारा उप राज्यपाल को प्रस्तुत किए जाएंगे।

(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह / पवन कुमार श्रीवास्तव

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