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तेलंगाना को सुप्रीम काेर्ट की चेतावनी-काटे गए पेड़ों की भरपाई नहीं होने पर अधिकारियों को भुगतना होगा खामियाजा

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, 15 मई (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पास कांचा गचीबावली में 400 एकड़ जमीन पर बसे जंगल को हटाने के मामले पर सख्त रवैया अपनाया है। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अगर तेलंगाना सरकार काटे गए पेड़ों की भरपाई नहीं करती है तो अधिकारियों को उसका खामियाजा भुगतना होगा। मामले की अगली सुनवाई 23 जुलाई को होगी।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अब ये राज्य सरकार पर निर्भर करता है कि वो कौन-सा विकल्प चुनती है। या तो जंगल की भरपाई करें या जेल जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लंबे सप्ताहांत का लाभ उठाकर राज्य सरकार ने पेड़ों को काटना शुरू कर दिया। 03 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने गचीबावली में पेड़ों की कटाई पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। कोर्ट ने अखबार की खबर पर संज्ञान लेते हुए ये आदेश दिया था।

कोर्ट ने तेलंगाना के मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वो ये सुनिश्चित करें कि कांचा गचीबावली के जंगलों में पेड़ों को न काटा जाए। जस्टिस गवई ने कहा कि खबर के मुताबिक सप्ताहांत में लंबी छुट्टियों को देखते हुए प्रशासन पेड़ों को काटने के काम में जल्दबाजी दिखाई। खबर में कहा गया था कि कांचा गचीबावली के जंगलों में आठ प्रकार के अनूसूचित जानवरों का ठिकाना है।

कांचा गचीबावली का जंगल हैदराबाद के आईटी हब के पास स्थित है। इस जंगल को हटाने पर हरित क्षेत्र के कम होने पर चिंता जताई जा रही थी। हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र भी इस जंगल को काटे जाने का विरोध कर रहे थे और इसे यूनिवर्सिटी को दिए जाने की मांग कर रहे थे।

(Udaipur Kiran) /संजय

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(Udaipur Kiran) / अमरेश द्विवेदी

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