
जयपुर, 20 मई (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने पीएचईडी की जनता जल योजना में कार्यरत रहे पंप चालकों को अदालती आदेश के बावजूद भी न्यूनतम वेतन नहीं देने पर कडा रुख अपनाया है। अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि अधीक्षक अभियंता, सीकर सर्किल ने अदालती आदेश की जानबूझकर अवहेलना की है। ऐसे में उनके सर्किल कार्यालय को तत्काल कुर्क और सील किया जाए और उन्हें चेंबर में प्रवेश भी नहीं करने किया जाए। अदालत ने डीजे, सीकर को कहा है कि वे अधीक्षण अभियंता के कार्यालय को कुर्क व सील करना सुनिश्चित करें और उन्हें कक्ष से बाहर बैठकर काम करने के लिए व्यवस्था कराई जाए। जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश मुकेश कुमार शर्मा व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए।
अदालत ने एसीएस, पीएचईडी को कहा है कि वह याचिकाकर्ताओं को न्यूनतम वेतन देने के संबंध में 21 अगस्त, 2020 और 16 अक्टूबर, 2020 को दिए आदेश की पालना सुनिश्चित करें। इसके साथ ही अधीक्षण अभियंता को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण लिया जाए कि क्यों ना उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाए। अदालत ने अधीक्षण अभियंता को अदालती आदेश की अवहेलना करने पर अवमानना नोटिस भी जारी कर पूछा है कि क्यों ना उन्हें प्रकरण में दंडित किया जाए। अदालत ने कहा कि गत 21 अप्रैल को अदालत ने अधीक्षण अभियंता को कहा था कि आदेश की पालना करें अन्यथा शपथ पत्र पेश कर पालना नहीं करने का कारण बताए। इसके बावजूद न तो उनकी ओर से शपथ पत्र पेश किया गया और ना ही वे स्वयं अदालत में पेश हुए।
याचिका में अधिवक्ता विनायक जोशी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता पीएचईडी की जनता जल योजना में पंप चालक के तौर पर कार्यरत थे। न्यूनतम वेतन अथॉरिटी ने 21 अगस्त और 16 अक्टूबर, 2020 को पीएचईडी को आदेश दिए थे कि वे साल 1995 से साल 2012 तक याचिकाकर्ताओं के न्यूनतम वेतन की गणना कर भुगतान करें। इसके बावजूद भी विभाग ने आदेशों की पालना नहीं की। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता माही यादव ने अदालत को बताया कि सीकर अधीक्षण अभियंता के रूप में रमेश कुमार राठी कार्यरत हैं। इस पर अदालत ने उन्हें अवमानना नोटिस जारी करते हुए उनका चेंबर कुर्क और सील कर उन्हें बाहर से दैनिक काम करने को कहा है।
—————
(Udaipur Kiran)
