Uttar Pradesh

आठ वर्षों में दोगुने से अधिक हुई नैमिषारण्य आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या

मुख्यमंत्री योगी

88 हजार ऋषियों की तपोस्थली में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं में योगी सरकार ने की है बढ़ोतरी

लखनऊ, 2 मई (Udaipur Kiran) । नैमिषारण्य तीर्थ स्थल न केवल आध्यात्मिक महत्व का केंद्र बन रहा है, बल्कि पर्यटन और स्थानीय रोजगार के क्षेत्र में भी नई ऊंचाइयां छू रहा है। वर्ष 2017 में नैमिषारण्य को विकास प्राधिकरण घोषित किए जाने के बाद इस पवित्र तीर्थ की सूरत बदलने लगी है। श्रद्धालुओं की संख्या में दोगुनी से अधिक वृद्धि और ढांचागत सुविधाओं के विकास ने नैमिषारण्य को उत्तर प्रदेश के पर्यटन मानचित्र पर एक राइजिंग स्पॉट बना दिया है।

प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि 2017 की तुलना में नैमिषारण्य में श्रद्धालुओं की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है। जहां पहले 84 कोसीय परिक्रमा में डेढ़ लाख श्रद्धालु शामिल होते थे, वहीं अब यह संख्या 4 से 5 लाख तक पहुंच गई है। अमावस्या के दिन चक्रतीर्थ में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 50 हजार से 1 लाख से बढ़कर 2 लाख से अधिक हो गई है। मौनी अमावस्या पर यह आंकड़ा 1.5 लाख से बढ़कर 3 से 4 लाख और गुरु पूर्णिमा पर 1 लाख से 2 से 3 लाख तक पहुंच गया है। वर्ष 2017 में जहां 1 करोड़ श्रद्धालु नैमिषारण्य पहुंचे थे, वहीं अब यह संख्या 2 करोड़ तक हो चुकी है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में नैमिषारण्य में इन्फ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और सौंदर्यीकरण के लिए करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है। प्रमुख विकास कार्यों में चक्रतीर्थ प्रवेश द्वार का विकास उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है। साथ ही अन्य प्रवेश द्वारों को कारीडोर के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसकी लागत 972.92 लाख रुपये है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा श्रद्धालुओं के लिए शयनगृह के निर्माण की लागत 793.31 लाख रुपये है। नैमिषारण्य को मुख्य मार्ग से हेलीपोर्ट से जोड़ने के लिए मार्ग निर्माण और अन्य कार्यों पर 215 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। हेलीपोर्ट निर्माण की लागत 781.41 लाख रुपये है। इसी प्रकार ध्रुव तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए 381.42 लाख रुपये की परियोजना चल रही है। उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा मिश्रिख में जंगलीनाथ मंदिर बरताल के पर्यटन विकास के लिए 96.88 लाख रुपये की परियोजना कार्यान्वित की जा रही है। चक्रतीर्थ कुंड कॉम्प्लेक्स के निर्माण पर 2277.30 लाख रुपये और इंट्रेंस प्लाजा के निर्माण पर 906.60 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। साथ ही नैमिषारण्य विकास परिषद द्वारा सीतापुर लिंक रोड पर पार्किंग और अन्य पर्यटन अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए 4763.08 लाख रुपये की परियोजना को प्रशासनिक स्वीकृति मिल चुकी है। विकास के अन्य प्रोजेक्ट भी तेजी से पूरे किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी स्वयं समय-समय पर नैमिष तीर्थ में हो रहे विकास कार्यों की समीक्षा और मॉनीटरिंग करते रहते हैं।

दक्षिण भारत से आने वाले श्रद्धालुओं की है बड़ी तादात

सोशल मीडिया के प्रचार-प्रसार और दक्षिण भारतीय मंदिरों के निर्माण ने दक्षिण भारत से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की है। साथ ही, अयोध्या, काशी और मथुरा जैसे अन्य तीर्थ स्थलों के विकास का प्रभाव भी नैमिषारण्य पर पड़ा है। ट्रैवल एजेंसियों द्वारा नैमिषारण्य को प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में प्रचारित करने से भी इसकी लोकप्रियता बढ़ी है।

88 हजार ऋषियों की तपोस्थली है नैमिषारण्य

नैमिषारण्य, जिसे 88 हजार ऋषियों की तपोस्थली के रूप में जाना जाता है, का आध्यात्मिक महत्व अनुपम है। मान्यता है कि यहां भगवान विष्णु के चक्र से चक्रतीर्थ की उत्पत्ति हुई थी और यह स्थान वेदों के अध्ययन और तपस्या का केंद्र रहा है। योगी सरकार के प्रयासों से इस तीर्थ की महिमा और सुविधाएं आज देश-विदेश के श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रही हैं, जिससे यह स्थान न केवल आस्था का, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यटन का भी प्रमुख केंद्र बन रहा है।

जिलाधिकारी अभिषेक आनंद के अनुसार मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप नैमिषारण्य तीर्थ को उसके प्राचीन गौरव में वापस लाने के लिए सतत प्रयास किये जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश धार्मिक पर्यटन के दृष्टिकोण से काफी समृद्ध है। नैमिषारण्य प्रदेश के सर्वाधिक महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भारी इजाफा हुआ है, ऐसे में श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए यहां चल रही परियोजनाओं को समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण ढंग से पूरा कराने पर विशेष जोर है।

(Udaipur Kiran) / दिलीप शुक्ला

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