RAJASTHAN

अब दया शब्द भी नहीं मिलेगा भारत के जज्बातों में

शौर्य और स्वाभिमान की वाणी में गूंजा प्रताप का प्रताप
—शौर्य और स्वाभिमान की वाणी में गूंजा प्रताप का प्रताप

उदयपुर, 29 मई (Udaipur Kiran) । अब दया शब्द भी नहीं मिलेगा भारत के जज्बातों में, बात के बदले बात करें लातों के उत्तर लातों में, गिन भी ना पाओगे इतने शव ले जाना तोहफे में, लो प्रताप के बेटों ने बंदूक उठा ली हाथों में।

वीर रस के कवि सिद्धार्थ देवल ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को मेवाड़ के पराक्रम से जोड़ते हुए जब इन पंक्तियों को अपनी वाणी में सुनाया तो प्रताप गौरव केन्द्र का पद्मिनी सभागार भारत माता और महाराणा प्रताप के जयकारों से बार-बार गुंजायमान होता रहा। अवसर था मातृभूमि की रक्षा के लिए जीवन समर्पित करने वाले महायोद्धा वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती पर गुरुवार को प्रताप गौरव केन्द्र राष्ट्रीय तीर्थ में महाराणा प्रताप के शौर्य को समर्पित कवि सम्मेलन का। सभागार मेवाड़ के कवियों की ओजस्वी वाणी से गूंज उठा। कवियों ने मेवाड़ की धरती, बलिदानी परंपरा और मातृभूमि के लिए सर्वस्व अर्पण करने वाले महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व को अपनी कविताओं के माध्यम से जीवंत कर दिया।

कार्यक्रम के सूत्रधार व उदयपुर के जाने—माने कवि प्रकाश नागोरी ने मेवाड़ के वीरों को नमन करते हुए ओजपूर्ण स्वर में कहा, हम शिवाजी, सांगा, पृथ्वीराज और प्रताप के बेटे युद्ध करते हैं, युद्ध से इन्कार नहीं करते… वीर किसी भी कुर्बानी से डरा नहीं करते हैं, मातृभूमि पर मिटने वाले मरा नहीं करते हैं। उनकी इस वाणी पर सभागार एक बार ​फिर जयकारों से गूंज उठा।

राजसमंद से आए ओज के प्रसिद्ध कवि सतीश आचार्य ने मेवाड़ की धरती को ‘वीरता का स्वर्ग’ बताते हुए वीरता का स्वर्ग इस धरती पे है कहीं तो, सच कहूं यारों वो अपना मेवाड़ है… पंक्तियां सुनाकर मेवाड़ को नमन किया तो हम राणा के वंशज हैं तलवारों से खेला करते, वक्त पड़े तो बन शंकर तांडव दिखलाया करते हैं… मेवाड़ के शौर्यपूर्ण इतिहास का स्मरण कराया।

मावली के युवा कवि मनोज गुर्जर ने अपने अनोखे अंदाज़ में हल्दीघाटी के बलिदान को वर्तमान से जोड़ते हुए हल्दीघाटी ने जो गाया आज़ादी का राग सुनो, मैं इस पूरे भारत को मेवाड़ बनाने निकला हूँ कविता सुनाई।

बड़ीसादड़ी के कवि नंदकिशोर अखिलेश ने मेदपाट की माटी को पावन बताते हुए राणा सा है पौरुष जिसका साहस हाड़ी रानी है, हम उसके धरती के बेटे हैं जिसका कण-कण स्वाभिमानी है… सुनाकर श्रोताओं में जोश भरा।

कवि हिम्मत सिंह उज्ज्वल ने सुण ले सुण ले पाकिस्तान, रे समझावे हिंदुस्तान। धमकी देणी छोड बावळा, बिगड़ जावेली शान सुनाकर पाकिस्तान को ललकारा।

कवि अंशुमान आज़ाद (निंबाहेड़ा) ने मेवाड़ी वीरता की पहचान जैवंता का जाया हूँ, मैं कीका की किलकारी हूँ, बायण माँ का बेटा, मैं मेवाड़ी खड़क दोधारी हूँ पंक्तियां सुनाकर दीं।

कवि गोलछा की सरल लेकिन गूढ़ पंक्तियों ने प्रताप के गौरव को एक नई ऊंचाई दी। उन्होंने प्रताप का गौरव हम आज गा रहे हैं, उस नाम से अब तलक यश पा रहे हैं… सुनाकर सही मायनों में महाराणा प्रताप के आदर्शों को अपनाने का आह्वान किया।

कुंभलगढ़ से आए कवि गोपाल शर्मा ने महाराणा प्रताप की धर्मपत्नी अजब दे पर अपनी रचना आज आंगने मांड मांडनो, थू माथा ने संवार दे। बणठन ने या अजबन जावे, हाथां में तलवार दे… सुनाकर क्षत्राणियों के शौर्य को भी प्रतिपादित किया।

कवि पुरुषोत्तम शाकद्वीपी ने प्रताप की क्रांतिकारी भावना को रेखांकित करते हुए चमक उठी थी वह चिंगारी, जो मेवाड़ धरा पर सुलग रही थी, स्वतंत्र कराने मातृभूमि को, महाराणा के दिल में धधक रही थी रचना सुनाई।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में युवा, छात्र, साहित्य प्रेमी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। कवियों के ओजस्वी स्वर, राष्ट्रभक्ति से भरी पंक्तियाँ और प्रताप के प्रति श्रद्धा ने समूचे सभागार को मानो ‘अखंड राष्ट्र’ बना दिया।

प्रताप गौरव केन्द्र के निदेशक अनुराग सक्सेना ने बताया कि कवि सम्मेलन में उदयपुर सांसद डॉ. मन्नालाल रावत मुख्य अतिथि थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में राज्य सभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया, उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन, उदयपुर ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा का सान्निध्य रहा। श्रीमती डॉ. रजनी पी. रावत भी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। सभी अतिथियों ने अपने उद्बोधन में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के आदर्शों को शिरोधार्य करने का आह्वान किया।

वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति के अध्यक्ष प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा, कोषाध्यक्ष अशोक पुरोहित, उपाध्यक्ष डॉ. एम.एम. टांक, सुभाष भार्गव, प्रताप जयंती समारोह के संयोजक सीए महावीर चपलोत, सह संयोजक प्रो. अनिल कोठारी, डॉ. सुहास मनोहर, शंकर लोढ़ा, जयदीप आमेटा, डॉ. विवेक भटनागर सहित अन्य कार्यकारिणी सदस्यों ने सरस्वती पुत्र कविवर व अतिथियों का अभिनंदन किया। कार्यक्रम का संयोजन डिम्पी सुहालका ने किया।

—————

(Udaipur Kiran) / सुनीता

Most Popular

To Top