West Bengal

अब नहीं भरेंगे फॉर्म, ‘योग्य’ बर्खास्त शिक्षकों का ऐलान – रिव्यू पिटिशन की सुनवाई तक इंतज़ार

नौकरी बर्खास्त शिक्षक

कोलकाता, 31 मई (Udaipur Kiran)

राज्य सरकार द्वारा शिक्षक भर्ती के लिए नई अधिसूचना जारी किए जाने के बाद भी ‘योग्य’ बर्खास्त शिक्षक तत्काल फॉर्म भरने के पक्ष में नहीं हैं। इन शिक्षकों का कहना है कि वे तब तक किसी भी नई प्रक्रिया में भाग नहीं लेंगे जब तक कि उच्चतम न्यायालय में राज्य सरकार की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई नहीं हो जाती।

शुक्रवार, 30 मई को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने शिक्षक भर्ती के लिए नई अधिसूचना जारी की। लेकिन इससे असहमति जताते हुए पूर्व में परीक्षा पास कर चुके और फिर बर्खास्त किए गए शिक्षक सड़कों पर उतर आए। शुक्रवार सुबह से ही सियालदह स्टेशन पर इकट्ठा होकर ये शिक्षक नवान्न की ओर मार्च करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें सियालदह में ही रोक दिया। कई स्थानों से शिक्षकों की गिरफ्तारी की भी खबरें हैं। इस दौरान कुछ शिक्षकों ने पुलिस पर ज़्यादती का आरोप भी लगाया।

पुलिस कार्रवाई के खिलाफ विरोध जताते हुए इन बर्खास्त शिक्षकों ने रविवार को पूरे राज्य में ‘धिक्कार रैली’ निकालने का ऐलान किया है। आंदोलनकारी शिक्षकों का कहना है कि उन्हें पहले ही एक बार परीक्षा में सफल मानते हुए नौकरी दी गई थी, ऐसे में उन्हें दोबारा परीक्षा देने के लिए मजबूर करना अन्यायपूर्ण है।

शुक्रवार शाम को सॉल्टलेक स्थित विकास भवन के सामने ‘योग्य शिक्षा मंच’ के सदस्य मेहबूब मंडल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, हम एक ही परीक्षा के लिए दो बार परीक्षा क्यों दें? हमारे पास तैयारी के लिए बहुत कम समय है। हम मानसिक रूप से भी ठीक स्थिति में नहीं हैं और कई शिक्षकों के परिवार गंभीर संकट में हैं। ऐसे में फिर से परीक्षा देना हमारे लिए आसान नहीं है। अनुभव वालों को अतिरिक्त अंक देने की बात कही गई है, लेकिन इसे भी बर्खास्त शिक्षक भेदभावपूर्ण मान रहे हैं। मेहबूब मंडल ने कहा, अनुभव पर 10 अंक देने से सरकार यह मान रही है कि हमें राहत मिल रही है। लेकिन सच्चाई यह है कि यह लाभ सिर्फ हमारे लिए नहीं है, बल्कि सभी अनुभवी उम्मीदवारों के लिए है। जो लोग पहले से शिक्षण में हैं, उन्हें यह अतिरिक्त मौका मिलेगा। यह नीति पक्षपातपूर्ण है और लोगों को गुमराह करने वाली है।

सरकार से पुनर्नियुक्ति की मांग

बर्खास्त शिक्षकों की स्पष्ट मांग है कि उन्हें नए सिरे से परीक्षा देने के बजाय उनके पिछले परिणामों और योग्यता के आधार पर सम्मानपूर्वक नौकरी में पुनर्नियुक्त किया जाए। जब तक सुप्रीम कोर्ट में दायर रिव्यू पिटिशन पर कोई फैसला नहीं आता, वे किसी नई प्रक्रिया में भाग नहीं लेंगे।

राज्य सरकार की नई अधिसूचना को लेकर जहां कुछ उम्मीदवार तैयारी में जुट चुके हैं, वहीं पहले से परीक्षा पास कर चुके शिक्षक इससे नाखुश हैं और इसे अन्याय मान रहे हैं। फिलहाल सभी की नजर सुप्रीम कोर्ट में लंबित पुनर्विचार याचिका पर टिकी है, जिसका फैसला इस पूरे विवाद का रुख तय कर सकता है।

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(Udaipur Kiran) / अनिता राय

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