Chhattisgarh

अब पंचायत सचिव दिल्ली के जंतर-मंतर में करेंगे प्रदर्शन

गांधी मैदान के मंच में प्रदर्शन करते हुए पंचायत संचिव संघ के सदस्य।

धमतरी, 17 अप्रैल (Udaipur Kiran) । पंचायत सचिवों ने गुरुवार को भी अपना आंदोलन जारी रखा। शासकीयकरण की मांग को लेकर पिछले 31 दिन से गांधी चौक मैदान में आंदोलन में हैं। पिछले छह दिन से पंचायत सचिव क्रमवार भूख हड़ताल पर हैं। पदाधिकारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होगी आंदोलन करते रहेंगे।

उल्‍लेखनीय है कि भाजपा सरकार ने चुनाव के पहले शासकीयकारण करने की घोषणा की थी लेकिन डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी घोषणा पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है जिसे लेकर पिछले 17 मार्च से पंचायत सचिव संघ प्रदेशव्यापी आंदोलन पर हैं। सचिवों के आंदोलन से पंचायत का काम ठप है। लगभग 200 योजनाएं अलमारी में कैद हैं। अब पंचायत सचिव दिल्ली में जाकर जंतर-मंतर में प्रदर्शन करेंगे। जानकारी के अनुसार सचिवों की हड़ताल से ग्राम विकास के कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं।

पंचायत सचिव संघ जिलाध्यक्ष भूपेश कुमार सिन्हा ने बताया कि शासकीयकरण की मांग को लेकर प्रतिनिधि मंडल ने पंचायत मंत्री से मुलाकात की थी, लेकिन सहमति नहीं बनने से वार्ता विफल रही। 20 अप्रैल को प्रत्येक ब्लाक के 15-15 सचिव जंतर मंतर मैदान दिल्ली के लिए रवाना होंगे। 21 अप्रैल से मांग पूरी होने तक जंतर मंतर मैदान में अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी। होरीलाल साहू, दधीचि अग्रवाल ने कहा कि वर्ष 2023-24 हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने वादा किया था कि चुनाव जीतने के 100 दिवस के भीतर पंचायत सचिवों का शासकीयकरण करने की गारंटी दी थी, लेकिन अब तक पूरा नहीं हो पाया है। जबकि चुनाव जीतकर आए भाजपा की सरकार को करीब दो वर्ष पूरा होने वाला है, इससे पंचायत सचिवों में काफी आक्रोश है। यही वजह है कि पंचायत सचिव इस बार आरपार की लड़ाई के मूड में हैं। मालूम हो कि कई सचिव जल्द ही रिटायरमेंट के कगार पर है। शासन की अनदेखी से ऐसे सचिवों के भविष्य पर खतरा मंडराने लगा है।

पंचायतों में कामकाज ठप: सचिवों के आंदोलन से धमतरी जिले के सभी पंचायतों में कामकाज नहीं हो पा रहा है। ग्रामीण प्रमाण पत्र बनाने से लेकर आवास, शौचालय जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए भटक रहे हैं। सरपंच भी सचिव के हड़ताल पर चले जाने से काम नहीं निबटा पा रहे हैं। सरकार ने सचिवों की मांग पर कोई एक्शन नहीं लिया तो हड़ताल और लंबी खिंच सकती है। जिसका असर ग्रामीण विकास कार्यों पर पड़ेगा।

(Udaipur Kiran) / रोशन सिन्हा

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