Uttar Pradesh

अब घर बैठे मिल रही अग्निशमन विभाग से ऑनलाइन एनओसी

अग्निशमन विभाग फाइल फोटो

लखनऊ, 18 मई (Udaipur Kiran) । योगी सरकार ने पिछले आठ वर्षों में आमजन की सहूलियतों को प्राथमिकता दी है। यही वजह है कि प्रदेश में हर क्षेत्र में तेजी से सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं। इसी के तहत योगी सरकार ने प्रदेश की अग्निशमन सेवाओं को एक नई दिशा और पहचान दी है।

सीएम योगी के निर्देश पर अग्निशमन विभाग के आधुनिकीकरण, डिजिटलाइजेशन और मानक सरल किये गये ताकि कोई भी नागरिक अग्निशमन से जुड़ी सेवाओं के लिए परेशान न हो। इतना ही नहीं योगी सरकार ने एनओसी को ऑनलाइन, लो-राइज भवनों के लिए फायर फाइटिंग सिस्टम और ढांचागत मानकों को व्यवहारिक बनाते हुए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को साकार किया है।

अग्निशमन विभाग की एडीजी पद्मजा चौहान ने बताया कि वर्ष 2017 से पहले अग्निशमन विभाग से एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) प्राप्त करना आवेदकों के लिए बड़ी चुनौती थी। उस दाैरान पारदर्शिता का अभाव, तय समय सीमा न होने से आवेदक विभाग के चक्कर लगाने के लिए मजबूर थे। वहीं सीएम योगी ने प्रदेश में पहली बार वर्ष 2018 में अग्निशमन विभाग की एनओसी को पूरी तरह ऑनलाइन किया। इससे आवेदक वर्तमान में घर बैठे एनओसी के लिए आवेदन कर रहे हैं। वहीं एनओसी जारी करने के लिए 15 दिन की अधिकतम समय सीमा तय की गई है। साथ ही किसी प्रकार की आपत्ति होने पर आवेदक को एक सप्ताह में सूचित किया जाता है।

एडीजी ने बताया कि वर्ष 2022 में लो-राइज भवनों के लिए फायर फाइटिंग सिस्टम और ढांचागत मानकों को व्यवहारिक बनाते हुए सरल किया गया। इसी वर्ष “उत्तर प्रदेश अग्निशमन तथा आपात सेवा अधिनियम–2022” को प्रख्यापित कर विभाग को आपात सेवाओं में और अधिक प्रभावी भूमिका निभाने के लिए सशक्त किया गया। वर्ष 2023 में सिंगल विंडो पोर्टल के जरिये ऑनलाइन आवेदन प्रणाली को और अधिक सरल बनाया गया। यह कदम प्रदेश में उद्योगों और उद्यमियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया। इससे उन्हें अब एनओसी के लिए लंबी प्रक्रियाओं से नहीं गुजरना पड़ता। इसके साथ ही वर्ष 2024 में उत्तर प्रदेश अग्निशमन तथा आपात सेवा नियमावली–2024 ने कई पुरानी जटिलताओं को दूर किया। इससे काफी समस्याओं को समाधान हुआ।

उत्तर प्रदेश अग्निशमन तथा आपात सेवा नियमावली-24 से इन समस्याओं को हुआ समाधान

सेटबैक की समस्या हुई खत्म: फायर विभाग और भवन प्राधिकरण के बीच सेटबैक नियमों की विसंगतियों को खत्म करते हुए अब केवल एक्सेस टू बिल्डिंग के मानक के आधार पर परीक्षण होता है, जिससे फायर वाहनों की सुगम पहुंच सुनिश्चित हो गई है।

स्टेयर की चौड़ाई में लचीलापन: पहले चौड़ाई की कठोर शर्तों के कारण एनओसी रोकी जाती थी, अब ऑक्यूपेंट लोड आधारित व्यवस्था लागू कर इसे तर्कसंगत बनाया गया है। बता दें कि पहले स्टेयर की चौड़ाई कम होने पर एनओसी नहीं मिलती थी, भले ही कुल सीढ़ियां पर्याप्त हों।

पहुंच मार्ग की चाैड़ाई में परिवर्तन : अब फायर ट्रक की न्यूनतम आवश्यक चौड़ाई को ही मानक माना गया है, जिससे पुराने कस्बों व संकरे रास्तों में भी नियम लागू हो पाते हैं।

वॉटर टैंक की लचीलापन व्यवस्था: अब आवेदक को कुल आवश्यक पानी की मात्रा कहीं भी (ओवरहेड या अंडरग्राउंड) उपलब्ध कराने की छूट दी गई है, जिससे स्थान की समस्या से राहत मिली है। पहले ओवरहेड और अंडरग्राउंड टैंक के लिए अलग-अलग क्षमता की शर्तें थीं। अब कुल पानी भूमिगत या ऊपरी टैंक के माध्यम से उपलब्ध कराना स्वीकार्य है।

अब अग्निशमन विभाग केवल अग्नि दुर्घटनाओं से निपटने वाला विभाग नहीं रहा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यह परिवर्तन ना केवल व्यवस्था में भरोसे को बढ़ाता है, बल्कि उत्तर प्रदेश को ईज ऑफ लिविंग और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में भी अहम भूमिका निभा रहा है। वहीं योगी सरकार अग्निशमन विभाग की जनशक्ति को और सशक्त करने के लिए विभागीय पुनर्गठन और नए पदों के सृजन की दिशा में भी अग्रसर है। इसका उद्देश्य आपात स्थितियों में और अधिक त्वरित प्रतिक्रिया, प्रभावी सेवा और जनता की सुरक्षा में कोई समझौता न हो।————————-

(Udaipur Kiran) / बृजनंदन

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