Madhya Pradesh

हाईकोर्ट की लाइव स्ट्रीम में अब कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकते, यूट्यूब, एक्स और मेटा को हाई कोर्ट ने जारी किया नोटिस

हाईकोर्ट ने लगाई मध्यप्रदेश के थानों में मंदिर बनाने पर रोक

जबलपुर, 5 नवंबर (Udaipur Kiran) । हाईकोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग पर मनमाने टाइटल और एडिटिंग कर सोशल मीडिया अकाउंट में व्यूज जोड़कर पैसे कमाने वाले और वीडियो एडिटर्स पर हाईकोर्ट ने सख़्ती की है।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका की सुनवाई की। यह याचिका लाइव स्ट्रीमिंग से छेड़छाड़ के संबंध में दायर की गई है। दमोह हटा के डॉ. विजय बजाज के द्वारा जबलपुर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इस याचिका की सुनवाई करते हुए आदेश जारी किया है। इस याचिकामें यह निवेदन किया गया था कि हाई कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग के नियमों का उल्लंघन कर यूट्यूब, व्हाट्सएप्प, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इन वीडियो को एडिट कर और मनमाने टाइटल डाल प्रसारित किया जा रहा है, जिससे न्यायपालिका की छवि पर भी असर पड़ रहा है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता उत्कर्ष अग्रवाल ने तथ्य रखा कि इन वीडियो के कमेंट सेक्शन पर कभीफैसला देने वाले जजों के खिलाफ कमेंट आते हैं तो कभी अधिवक्ताओं के खिलाफ भी भद्दे-भद्दे कमेंट किए जाते हैं। हाईकोर्ट के लाइव स्ट्रीमिंग को इस तरह से रुपए कमाने के लिए इस्तेमाल करना 2021 के ई कोर्ट प्रोसीडिंग के नियम 11-बी का भी उल्लंघन है। इसलिएइस तरह के वीडियो रील और शॉर्ट्स पर रोक लगाने की मांग इस याचिका में की गई। चीफ जस्टिस की युगल पीठ के द्वारा आदेश जारी करते हुए हाईकोर्ट लाइव स्ट्रीम के दुरुपयोग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है। कोर्ट के लाइव स्ट्रीम का उपयोग नियम 11-बी के अंतर्गत ही किया जा सकता है। हाइकोर्ट के द्वारा आदेशित किया गया है कि कोई भी सोशल मीडिया, इंडिविजुअल, मीडिया एजेंसी वीडियो मेकर या आम नागरिक कोर्ट की लाइव वीडियो को एडिट या किसी भी अन्य तरह से अपलोड नहीं कर सकेंगे। अधिवक्ता उत्कर्ष अग्रवाल ने कोर्ट को बताया कि जिन अकाउंट्स पर यह वीडियो डाले जाते हैं उसमें इन्हें व्यू के जरिए भी पैसा आता है और अधिक भी होने के कारण स्पॉन्सर भी मिलते हैं। जिसके लिए यह वीडियो क्रिएटर कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग वीडियो का इस्तेमाल करते हुए चटपटे और अतरंगी टाइटल डालते हैं ताकि इन्हें ज्यादा से ज्यादा लोग देखें। इसे न्यायपालिका का मजाक भी बनता है। इस तरह यह वीडियो क्रिएटर या सोशल मीडिया अकाउंट्स कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग का कॉपीराइट का भी उल्लंघन कर रहे हैं। हाईकोर्ट के द्वारा मेटा (फेसबुक और इंस्टाग्राम) सहित यूट्यूब और ट्विटर को नोटिस जारी करते हुए जवाब पेश करने का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी। उल्लेखनीय है कि 2018 में एक जनहित याचिका की सुनवाई केबाद ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश केअनुसार कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग शुरु हुई थी। वहीं साल 2021 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ई कोर्ट प्रोसीडिंग्स की शुरुआत हुई थी।

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(Udaipur Kiran) / विलोक पाठक

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