कोलकाता, 18 दिसंबर (Udaipur Kiran) । अब सड़क दुर्घटना में मौत होने पर ‘डेथ ऑडिट’ अनिवार्य कर दिया गया है।
स्वास्थ्य भवन द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, सड़क दुर्घटना में मौत होने पर अस्पताल में भर्ती होने, इलाज और मृत्यु, उसका मूल कारण या ठीक होने की स्थिति में इलाज का सही प्रकार और कितने समय तक किया गया, इसका पूरा विवरण विशिष्ट पोर्टल में दर्ज किया जाना चाहिए। अस्पतालों को हर दुर्घटना पर ‘मृत्यु रिपोर्ट’ प्रत्येक सप्ताह के सोमवार को जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी को सौंपनी होगी।
स्वास्थ्य भवन सूत्रों के अनुसार, पिछले सप्ताह स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव और अस्पताल व मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों की मौजूदगी में यह निर्णय लिया गया। अब सवाल यह है कि आम तौर पर सड़क दुर्घटना में मौत के बाद पोस्टमार्टम किया जाता है लेकिन डेथ ऑडिट क्यों? स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक डेथ ऑडिट से कई अहम सवालों के जवाब मिलेंगे। उसके आधार पर सड़क दुर्घटनाओं की संख्या पर नियंत्रण संभव है।
पहला, दुर्घटनास्थल से अस्पताल कितनी दूर है ? एक निश्चित समयावधि में उस स्थान पर कितनी दुर्घटनाएं होती हैं ? किस प्रकार की वाहन दुर्घटनाएं अधिक आम हैं ? घायल व्यक्ति के शरीर के किस अंग पर अधिक चोट लगती है ? विशेषज्ञ चिकित्सक ने क्या इलाज किया या फिर कोई स्पेशलिस्ट डॉक्टर है जैसी जानकारिया डेथ ऑडिट से मिल सकती है।
अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि जिले से प्राप्त डेथ ऑडिट रिपोर्ट लोक निर्माण एवं शहरी विकास विभाग को भेजी जाएगी। ताकि अस्पताल के बुनियादी ढांचे को बदलने में सुविधा हो।
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(Udaipur Kiran) / गंगा