रांची, 22 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । झारखंड हाई कोर्ट में मंगलवार को झारखंड कर्मचारी चयन आयोग संयुक्त स्नातक स्तरीय (जेएसएससी-सीजीएल) परीक्षा पेपर लीक मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या न्यायिक जांच की मांग वाली जनहित याचिका की सुनवाई हुई। सुनवाई के दाैरान मामले में हाई कोर्ट की खंडपीठ ने प्रतिवादी राज्य सरकार एवं जेएसएससी को नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई तीन दिसंबर को होगी।
सुनवाई के दौरान वादी की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार, अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज आकृति श्री, समीर रंजन ने खंडपीठ को बताया कि झारखंड सामान्य स्नातक योग्यताधारी संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा-2023 बीते 28 जनवरी को हुई थी। बड़ी संख्या में छात्र परीक्षा में शामिल भी हुए लेकिन छात्रों ने प्रश्नपत्र लीक का आरोप लगाया था और जमकर विरोध-प्रदर्शन किया था। इसके बाद एसआईटी का गठन किया गया था।
इस परीक्षा में जिस प्रकार से पेपर लीक हुआ है उसी प्रकार 21 एवं 22 सितंबर की भी परीक्षा में पेपर लिखा हुआ है। राजेश प्रसाद ने इस संबंध में संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए ऑनलाइन कंप्लेंट दर्ज की है, उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं करना संदेह उत्पन्न कर रहा है। जेएसएससी सीजीएल परीक्षा में पेपर लीक को लेकर बड़ी संख्या में छात्र आंदोलित है। मामले में महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि वादी द्वारा लगाए गए आरोप गलत है और यह सुनने योग्य नहीं है। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद प्रतिवादी राज्य सरकार एवं जेएसएससी को नोट इसे जारी किया।
हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दलील दी गई है कि राज्य पुलिस द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा की जा रही जांच पारदर्शी नहीं रही है। क्योंकि, जांच के निष्कर्ष अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया है कि सीबीआई या न्यायिक जांच के माध्यम से अधिक गहन जांच की जाए। राज्य सरकार द्वारा विभिन्न विभागों में 2,025 पदों को भरने के लिए आयोजित जेएसएससी-सीजीएल परीक्षा में 6,50,000 से अधिक आवेदक शामिल हुए थे।
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(Udaipur Kiran) / शारदा वन्दना