
नई दिल्ली, 26 मई (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट ने इंजीनियरिंग की संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) की मुख्य परीक्षा के स्कोर कार्ड में विसंगतियों के आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को नोटिस जारी किया है। जस्टिस विकास महाजन की बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 29 मई को करने का आदेश दिया।
याचिका ओमान के मस्कट में पढ़ रहे एक भारतीय छात्र की ओर से दाखिल की गई है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील अजय कुमार ने कहा कि जेईई की मुख्य परीक्षा 23 जनवरी और 2 अप्रैल को हुई थी। याचिका में कहा गया है कि स्कोर कार्ड में एक की आवेदन के लिए दो अलग-अलग पर्सेंटाइल दिखा रहा है। दोनों स्कोर कार्ड की प्रति एनटीए को स्पष्टीकरण के लिए भेजी गई। एक में पर्सेंटाइल 55 से कुछ ज्यादा था और दूसरे में पर्सेंटाइल 89 से ज्यादा था। 13 मार्च को एनटीए ने अपने जवाब में कहा कि सही पर्सेंटाइल 55 से ज्यादा वाला है। एनटीए ने 89 से ज्यादा पर्सेंटाइल वाला स्कोर कार्ड निरस्त कर दिया। एनटीए ने कहा कि 98 से ज्यादा पर्सेंटाइल वाला स्कोर कार्ड फर्जी है और उसे अनफेयर मीन्स कमेटी (यूएफएम) को भेज दिया।
याचिका में कहा गया है कि यूएफएफ कमेटी ने न तो कोई जांच की और न ही कोई कारण बताओ नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ता को अंतिम जांच रिपोर्ट बनाते समय न तो कोई सूचना दी गई और न ही उसका पक्ष लिया गया। जब याचिकाकर्ता 2 अप्रैल को मुख्य परीक्षा के दूसरे सत्र में शामिल हुआ। दूसरे सत्र का रिजल्ट 19 अप्रैल को जारी किया गया तो याचिकाकर्ता का स्कोरकार्ड में यूएफएम अंकित था। स्कोर कार्ड में कहा गया था कि याचिकाकर्ता को 2025-26 और 2026-27 के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है।
याचिका में कहा गया है कि एक अभ्यर्थी के कई स्कोरकार्ड तब आते हैं जब वो एक से ज्यादा आवेदन करता है। लेकिन याचिकाकर्ता ने केवल एक ही आवेदन किया था। ऐसे में एनटीए ने उचित जांच के बिना ही याचिकाकर्ता को दो साल के लिए जेईई परीक्षा में बैठने पर बैन कैसे लगा दिया। ऐसा करना गैरकानूनी और मनमाना है।
(Udaipur Kiran) /संजय
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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा
