Madhya Pradesh

मप्र के रीवा में बीमार बच्चे से स्कूल में मैला साफ कराने के मामले में कलेक्टर को नोटिस

स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ एबीवीपी का प्रदर्शन
राष्ट्रीय बाल सरंक्षण अधिकार आयोग ने कलेक्टर को नोटिस जारी

– राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ने 10 दिनों में कार्रवाई के दिए निर्देश

रीवा, 23 जनवरी (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के रीवा जिले में पांच साल के बीमार बच्चे से कक्षा में मैला साफ कराने के मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है। मीडिया में खबरें प्रकाशित होने के बाद गुरुवार को राष्ट्रीय बाल सरंक्षण अधिकार आयोग ने कलेक्टर को नोटिस जारी कर 10 दिन में जांच पूरी कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।

दरअसल, रीवा जिले के एक स्कूल में पांच साल के बीमार बच्चे ने कक्षा में टॉयलेट-लेट्रीन कर ली थी। इस दौरान कक्षा में पढ़ा रही महिला शिक्षक ने बच्चे को बुरी तरह डांटा। वह और आया उसे खींचकर बाथरूम में ले गईं। वहां बच्चे की पेंट उतरवाकर उसी से टॉयलेट-लेट्रीन साफ कराया। करीब चार घंटे बिना पेंट खड़ा रखा। कड़कड़ाती ठंड में खड़ा बच्चा कांपता और सुबकता रहा।

घटना 18 जनवरी को रीवा के बोदा बाग में किंडर गार्डन ज्योति स्कूल में की है। छुट्टी होने के बाद बच्चा घर पहुंचा तो परिजनों को पता चला। तब परिजन बच्चे को लेकर स्कूल पहुंचे और मैनेजमेंट से शिकायत की। उन्होंने कार्रवाई का भरोसा दिलाया। परिजनों की शिकायत के बाद भी स्कूल मैनेजमेंट ने टीचर और आया पर एक्शन नहीं लिया। इसके बाद परिजनों ने लिखित में शिकायत कर दी। पैरेंट्स की शिकायत मिलते ही मैनेजमेंट ने उनको धमकी दे दी। उन्होंने कहा कि आपको अपना बच्चा आगे पढ़ाना है कि नहीं?

घटना के बाद से ही बच्चा गुमसुम रहने लगा है। वह किसी से भी बात करने में कतराता है। परिजनों ने बताया कि टीचर के व्यवहार का इतना असर पड़ा है कि वह रात में उठकर चिल्लाने लगता है। बच्चा स्कूल जाने से भी मना कर रहा है। वहीं, मैनेजमेंट के उचित एक्शन नहीं लेने पर परिजनों ने कलेक्टर से शिकायत की है। कलेक्टर ने जांच की बात कही है।

पीड़ित बच्चा शिक्षा विभाग से रिटायर्ड बड़े अधिकारी का पोता है। बच्चे के परिजन ने बताया कि ‘बेटा साल भर से किंडर गार्डन ज्योति स्कूल में पढ़ रहा है। उसके साथ पहले भी अभद्रता की जा चुकी है। तब हमने ध्यान नहीं दिया था। बच्चे को समझाकर स्कूल जाने के लिए राजी कर लिया था।’

मां ने कहा कि शनिवार को बेटा क्लास रूम में था। अचानक उसका स्वास्थ्य खराब हो गया। क्लासरूम में टॉयलेट-लेट्रीन निकल गई। टीचर ने उसे डांटना शुरू कर दिया। वे उसे खींचते हुए वॉशरूम ले गईं। वहां टीचर और आया ने उसके कपड़े उतरवा दिए। एक पतला तौलिया उसके शरीर पर लपेट दिया। फिर बच्चे से ही कपड़े साफ कराए। बेटा ठंड और गलन के बीच सफाई करता रहा।

पिता ने कहा कि हमने सोमवार को स्कूल प्रबंधन से मामले की मौखिक शिकायत की थी। इसके बावजूद उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। जब इसकी लिखित शिकायत करने लगे तो स्कूल प्रबंधन ने धमकाना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि मंगलवार देर रात को बेटा सो रहा था। इस दौरान अचानक उठकर जोर-जोर से चिल्लाने लगा। कहने लगा कि मैम, मुझे मत मारो। मेरे ऊपर ठंडा पानी मत डालो। प्लीज मैम, मुझे छोड़ दो।’ उसकी इस हालत को देखकर हम डरे हुए हैं।

स्कूल मैनेजमेंट के खिलाफ एबीवीपी का प्रदर्शन

बच्चे के पड़ोस में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का एक कार्यकर्ता रहता है। परिजन से बातचीत के दौरान उसको मामले का पता लगा। वह विद्यार्थी परिषद के अन्य कार्यकर्ताओं के साथ मंगलवार को स्कूल पहुंचा। मैनेजमेंट के खिलाफ प्रदर्शन किया। तुरंत कार्रवाई के आश्वासन पर प्रदर्शन खत्म किया गया। लेकिन जब कोई एक्शन नहीं हुआ तो कार्यकर्ता बुधवार को भी स्कूल पहुंच गए। वहां नारे लगाए।

स्कूल के प्राचार्य सदरानील ने कहा कि मामले में आया की तरफ से बड़ी गलती और लापरवाही की गई है। उसे स्कूल न आने के निर्देश दिए गए हैं। स्कूल प्रबंधन गंभीरता से मामले की जांच करेगा।’ वहीं, डीईओ सुदामा लाल गुप्ता ने बताया कि दो प्राचार्यों की टीम जांच के लिए गठित की है। आगे वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर प्रतिभा पाल ने कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग से इसकी जांच कराई जाएगी। जो भी नियमानुसार कार्रवाई होगी, वो करेंगे।

(Udaipur Kiran) तोमर

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