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आम जनता की समस्याओं के निदान के लिए केंद्रीय बजट में कुछ नहीं: अखिलेश यादव

लोकसभा में मंगलवार को बजट पर सामान्य चर्चा में भाग लेते सांसद अखिलेश यादव

नई दिल्ली, 11 फरवरी (Udaipur Kiran) । लोकसभा में विपक्षी सदस्यों ने केंद्रीय बजट 2025-26 पर सामान्य चर्चा में भाग लेते हुए इसे बड़े उद्योगपतियों के हित साधने के लक्ष्य वाला बजट करार दिया। विपक्षी सदस्यों ने कहा कि इसमें आम जनता की समस्याओं के निदान के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है।

लोकसभा में समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने बजट पर तीसरे दिन की चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा यह बजट लक्षित बजट है। जो उन लोगों पर केंद्रित है, जो बहुत अमीर हैं, बड़े लोग हैं, उद्योगपति हैं। यह बजट उनके लिए बनाया गया है। मुझे इसमें भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का कोई रोडमैप नहीं दिखता और रोडमैप इसलिए नहीं दिख रहा, क्योंकि बजट आते ही हमने वो तस्वीरें देखीं। क्या 10 बजट इसी देश के लिए बनाए गए थे ताकि जब 11वां बजट आए तो पूरा देश और पूरी दुनिया देखे कि भारत के लोगों को हथकड़ी लगाकर वापस भेजा गया।

अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश की ‘डबल इंजन’ सरकार ‘डबल ब्लंडर’ कर रही है। उन्होंने कहा कि बजट में किसान की आय दोगुनी करने का कोई रोड मैप नहीं रखा गया है। किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी नहीं मिल रही है, जबकि इस लड़ाई को लड़ते हुए कई किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने को लेकर सरकार सिर्फ दावे करती हे लेकिन इसे क्रियान्वित नहीं करती है। किसानों के उपयोग की वस्तुओं पर जीएसटी नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि महाकुंभ में लोगों को दिक्कत हो रही है, वहां हर आदमी जाम में फंसा है जबकि पूरा प्रशासन जाम खोलने में लगा हुआ है। सरकार चांद पर पहुंचने की बात करती है लेकिन चांद पर पहुंचने का क्या फायदा जब जमीन की बात नहीं दिखती हो। डिजिटल कुंभ की बात की जा रही है लेकिन वहां भगदड़ में मारे गये लोगों की संख्या अब तक सामने नहीं आई है। डिजिटल अरेस्ट की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं लेकिन सरकार सिर्फ डिजिटल इंडिया की ही बात करती रह गई है।

अखिलेश यादव ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था दुनिया में तीसरे स्थान पर पहुंच गई लेकिन नौकरी और रोजगार नहीं हैं। उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के एक बयान का हवाला देते हुए कटाक्ष किया कि जैसे पॉपकॉर्न में जीएसटी का हेरफेर हो गया है, कहीं मखाना में न हो जाए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में निवेश के बड़े दावे किए गए लेकिन वास्तविकता के धरातल पर कुछ नहीं उतरा। उत्तर प्रदेश में विकास विज्ञापनों में दिखाई देता है लेकिन जमीन पर दिखाई नहीं देता।

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(Udaipur Kiran) / दधिबल यादव

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