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सगी बेटी एवं बहन से दुष्कर्म के आरोपितों को राहत नहीं, ज़मानत अर्जी खारिज़ 

इलाहाबाद हाईकोर्ट

-हाईकोर्ट ने कहा, यह खून के रिश्ते और भरोसे से अक्षम्य विश्वासघात है

प्रयागराज, 24 जनवरी (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी सगी बेटी और बहन से दुष्कर्म करने के आरोपित पिता और भाई को राहत देने से इंकार करते हुए उसकी ज़मानत अजी खारिज़ कर दी है।

कोर्ट ने कहा कि पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोप बेहद गम्भीर और रेयर (विरल) है। यह खून के रिश्ते और भरोसे से अक्षम्य विश्वासघात है। जिस पिता और भाई के हाथ उनकी बेटी और बहन के सम्मान की रक्षा के लिए होते हैं, वह उसे नष्ट करने का औजार बन गए हैं।

आरोपीगण मेरठ के रहने वाले हैं। ज़मानत याचिका दाखिल कर आरोपित ने कहा कि वह 2019 से जेल में बंद है। मुकदमे का ट्रायल जल्दी पूरा होने की सम्भावना नहीं है। इसलिए ज़मानत दी जाए।

पीड़िता ने मार्च 2019 में अपने पिता और भाई पर दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज़ कराई। आरोप लगाया कि दोनों पिछले तीन चार वर्षों से उसके साथ दुष्कर्म कर रहे हैं। विरोध करने पर उसे डरा धमका कर चुप करा दिया जाता है। पीड़िता ने दुष्कर्म से पांच माह के गर्भ होने का भी आरोप लगाया। मेडिकल जांच के दौरान भी उसने आरोपों को दोहराया।

अपर शासकीय अधिवक्ता ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि पीड़िता के गर्भ होने से उसके आरोपों की पुष्टि होती है। कोर्ट ने ज़मानत अर्जी खारिज़ करते हुए एसएसपी मेरठ को निर्देश दिया है कि मुकदमे के गवाहों की ट्रायल कोर्ट में समय से उपस्थिति सुनिश्चित की जाए।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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