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मेडिकल कॉलेज को राहत नहीं, एमबीबीएस की सौ सीटें ही रहेगी

हाईकोर्ट जयपुर

जयपुर, 8 नवंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने आकस्मिक जांच में संसाधनों की कमियां पाए जाने पर मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस की सीट कम करने के मामले में निजी मेडिकल कॉलेज को राहत देने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने एकलपीठ की ओर से याचिका खारिज करने के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने से मना करते हुए स्टे प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया है। जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश इंडियन मिशन ऑफ मेडिकल साइंसेज सोसायटी, कोटा और सुधा मेडिकल कॉलेज, झालावाड की याचिका में दायर स्टे प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए।

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि अपीलार्थी ने मेडिकल कॉलेज के लिए आवेदन किया था। इस पर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने प्रारंभिक जांच के बाद 24 मार्च, 2023 को पत्र जारी कर याचिकाकर्ता को तीन शैक्षणिक सत्रों के लिए 150 सीटों की क्षमता वाले मेडिकल कॉलेज की स्थापना की अनुमति जारी कर दी। इसके बाद याचिकाकर्ता ने सभी औपचारिकताएं पूरी कर राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय से संबद्धता और मान्यता के लिए आवेदन किया। आरयूएचएस ने भी 9 अप्रैल, 2023 को उसे अनुमति दे दी। याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने कॉलेज स्थापना के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन के समक्ष अनुमति के लिए आवेदन किया। इस पर पर राष्ट्रीय चिकित्सा मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड ने कुछ कमियां बताते हुए याचिकाकर्ता को गत तीन अप्रैल को नोटिस दिया। जिसका याचिकाकर्ता ने जवाब दे दिया। याचिका में कहा गया कि बोर्ड ने आकस्मिक निरीक्षण कर संस्थान में संसाधनों और फैकल्टी की कमी बताकर गत 4 जुलाई को 150 सीटों को घटाकर सौ सीटें कर दी। इसके खिलाफ दायर याचिका को एकलपीठ ने गत दिनों खारिज कर दिया। ऐसे में एकलपीठ के आदेश पर रोक लगाई जाए। जिसका विरोध करते हुए एएसजी राज दीपक रस्तोगी ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में संसाधनों और फैकल्टी की कमी के कारण सौ सीटों पर ही प्रवेश की अनुमति दी गई थी। जिस पर कॉलेज भी सहमति जता चुका था। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार तीस अक्टूबर के बाद प्रवेश नहीं दिया जा सकता। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने स्टे प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।

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(Udaipur Kiran)

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