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नई दिल्ली, 08 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट ने श्रम विहार में यमुना के डूब क्षेत्र में बसे झुग्गी बस्ती वासियों को कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि झुग्गीवासियों को जगह खाली करने के लिए मिले नोटिस पर रोक की मांग का कोई कानूनी आधार नहीं है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि कोई नहीं चाहता कि यमुना साफ हो। यमुना में बनने वाले झाग को उसके पास से गुजरते हुए एक मील की दूरी से ही बदबू आने लगती है और यह सब इसलिए हो रहा है, क्योंकि हम यमुना को प्रदूषित कर रहे हैं। याचिकाकर्ताओं ने 27 सितंबर तक जगह खाली करने के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी।
हाई कोर्ट ने 11 जुलाई को डीडीए के उपाध्यक्ष को निर्देश दिया था कि वो यमुना के किनारे को अवैध अतिक्रमण से मुक्त कराएं। हाई कोर्ट ने डीडीए के उपाध्यक्ष को यमुना किनारे को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए दिल्ली नगर निगम, दिल्ली पुलिस, दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, पीडब्ल्यूडी, वन विभाग और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से समन्वय करने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया था।
सुनवाई के दौरान विभिन्न प्राधिकरणों ने कहा था कि नदी का जलग्रहण क्षेत्र नदी के इकोसिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, इसलिए वहां कोई भी गतिविधि करने पर रोक लगाई गई है। यमुना नदी के जलग्रहण क्षेत्र में अवैध निर्माण से पानी के बहाव का रुख आसपास के इलाकों की ओर मुड़ जाता है। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस ने कहा था कि यमुना नदी के किनारे अतिक्रमण रोकने के लिए उन्होंने डीडीए और दिल्ली नगर निगम को कई बार पत्र लिखा था।
(Udaipur Kiran) /संजय
(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम
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