Uttar Pradesh

कोई भी राजनीतिक दल गोरक्षा के पक्ष में नहीं : शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द

शंकराचार्य

वाराणसी, 15 अप्रैल (Udaipur Kiran) । ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने मंगलवार को कहा कि भारत जैसे बहुसंख्यक हिन्दू राष्ट्र में गोरक्षा की मांग लंबे समय से की जाती रही है, लेकिन आजादी के 78 वर्षों बाद भी इस पर कोई केंद्रीय कानून नहीं बन पाया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वास्तव में कोई भी स्थापित राजनीतिक दल गोरक्षा के पक्ष में नहीं है।

शंकराचार्य श्रीविद्यामठ, केदारघाट में पत्रकारों से बात कर रहे थे। उन्होंने बताया कि प्रयागराज महाकुंभ के उपरांत 33 दिनों के भीतर समग्र आस्तिक हिन्दू समाज की ओर से सभी प्रमुख राजनीतिक दलों से गोमाता पर अपना रुख स्पष्ट करने का आग्रह किया गया था। उन्होंने सीधा प्रश्न किया था — क्या आप गाय के पक्ष में हैं या विपक्ष में? लेकिन किसी भी दल ने इसका उत्तर नहीं दिया।

राजनीतिक दलों की चुप्पी और असहमति

उन्होंने बताया कि 17 मार्च को रामलीला मैदान में आयोजित प्रतीक्षा कार्यक्रम इसलिए रद्द करना पड़ा क्योंकि किसी भी दल ने जवाब देना जरूरी नहीं समझा। इतना ही नहीं, जब उन्होंने खुद राजनीतिक दलों के कार्यालयों के सामने जाकर यह प्रश्न दोहराया, तो भी उन्हें कोई उत्तर नहीं मिला। उन्होंने कहा कि यह इतिहास में पहला अवसर था जब किसी शंकराचार्य ने सीधे राजनीतिक दलों से गोमाता पर रुख स्पष्ट करने का आग्रह किया हो।

शंकराचार्य ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी ने तो अपने कार्यालय के सामने बैरिकेडिंग कर उन्हें रोकने के लिए पुलिस बल तक लगा दिया और पूर्व स्वीकृत कार्यक्रम की अनुमति भी रद्द कर दी। उन्होंने दोहराया कि उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि यदि कोई उत्तर नहीं आता, तो इसे अस्वीकार समझा जाएगा। “जो गोमाता को सम्मान नहीं देते, वे दरअसल उन्हें मारते-मरवाते रहकर कसाई के रूप में चिह्नित होना चाहते हैं,” शंकराचार्य ने कहा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अब यह मूर्खता होगी कि इन राजनीतिक दलों से गोरक्षा की आशा की जाए। स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने कहा कि अब जब सभी प्रमुख दलों से आशा समाप्त हो चुकी है, तब गोरक्षा के लिए आम मतदाता को संकल्पबद्ध होना पड़ेगा। उन्होंने आह्वान किया कि अब हर मतदाता केवल उसी दल या प्रत्याशी को वोट दे जो गोरक्षा और सनातन धर्म के मूल्यों की रक्षा का संकल्प ले।

सनातनी राजनीति, सनातनी समाज की मांग

एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि यदि 80 करोड़ से अधिक सनातनी इस देश में रहते हैं, तो उनकी आवाज़ उठाने वाला कोई राजनीतिक दल भी होना ही चाहिए। मांग से ही आपूर्ति का सिद्धांत बनता है।शंकराचार्य ने स्पष्ट किया कि वे स्वयं किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करते। “हम धर्माचार्य हैं, और हमारी मर्यादा राजनीति से ऊपर है। हाँ, एक धार्मिक मतदाता के रूप में हम अवश्य सोचते हैं कि हमारा वोट किसी गोहत्याकारक को न मिले,” उन्होंने कहा। उन्होंने बताया कि गोप्रतिष्ठा आन्दोलन के अंतर्गत देश की सभी 4123 विधानसभाओं में एक-एक रामाधाम बनाने का लक्ष्य है, जिनमें प्रत्येक में 108 रामा गायों की सेवा की जाएगी। यह कार्य ‘गोसंसद’ और ‘गोसभाओं’ के माध्यम से किया जा रहा है। भविष्य में तीन लाख रामाधाम स्थापित करने की योजना है।

(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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