-अधिवक्ता फातिमा खातून को नोटिस, कोर्ट ने मांगा स्पष्टीकरण
प्रयागराज, 18 दिसंबर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि बिना क्लाइंट के कहे अधिवक्ता को किसी केस को वापस लेने का अधिकार नहीं है। यह एक गम्भीर कदाचार है।
भानुप्रताप ने अधिवक्ता फातिमा खातून के माध्यम से अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की। बहस के दौरान अधिवक्ता ने यह कहते हुए केस वापस ले लिया कि याची नियमित जमानत अर्जी दाखिल करेगा। वादकारी ने अधिवक्ता को ऐसा करने के लिए अधिकृत नहीं किया था। कोर्ट को दिये बयान का पालन नहीं किया गया और वादकारी दूसरे वकील के मार्फत दाेबारा अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की और पिछले अधिवक्ता पर मनमाना बयान देने का आरोप लगाया।
अर्जी की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान ने इसे गम्भीरता से लिया और महानिबंधक को निर्देश दिया कि पिछले अधिवक्ता फातिमा खातून को नोटिस दें और वह स्पष्टीकरण दें कि बिना वादकारी की सहमति उन्होंने अग्रिम जमानत अर्जी वापस कैसे ले ली। अर्जी की सुनवाई 24 जनवरी को होगी।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे