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कोई भी वकील किसी वादकारी को न्याय पाने के लिए कोर्ट आने से नहीं रोक सकताः हाई कोर्ट 

इलाहाबाद हाईकाेर्ट्

प्रयागराज, 11 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि वकालत नोबल प्रोफेशन है। कोई भी वकील न्यायिक अधिकारी को न्यायिक कार्य करने और किसी वादकारी को न्याय पाने के लिए अदालत आने से रोक नहीं सकता। कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि गाजियाबाद के वकील कभी भी किसी वादकारी को अदालत आने से नहीं रोकेंगे।

कोर्ट ने कहा है कि यदि वकील हड़ताल जारी रखते हैं तो न्यायिक अधिकारी अपना न्यायिक कार्य जरूर करें। यदि वादकारी अपने केस में बहस करना चाहता है तो जिला जज के परामर्श लेकर जिला प्रशासन उसे पुलिस संरक्षण दे। वकील हड़ताल पर हैं तो किसी भी वादकारी को रेमेडी लेस नहीं छोड़ा जा सकता।

किरायेदारी विवाद में वकीलों की हड़ताल के कारण अपील दाखिल करने के बजाय हाई कोर्ट आये वादकारी को हाई कोर्ट ने दो हफ्ते में अधिकरण के समक्ष अपील दाखिल करने तथा पीठासीन अधिकारी को उसके एक हफ्ते में अपील के स्थगनादेश अर्जी पर उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने आशुतोष कुमार पाठक की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।

याची का कहना था कि 8 नवम्बर 2024 के आदेश से प्राधिकारी ने मकान मालिक के पक्ष में मकान खाली करने का आदेश दिया है। गाजियाबाद के वकील हड़ताल पर हैं। अपील दाखिल करने का वैकल्पिक उपचार प्राप्त होने के बावजूद दाखिल नहीं हो पा रही है। न्याय पाने में कठिनाई हो रही है। इसलिए हाई कोर्ट आना पड़ा है।

कोर्ट ने कहा कि उपचार उपलब्ध होने के बावजूद वादकारी वकीलों की हड़ताल के कारण न्याय नहीं पा रहे हैं। हाई कोर्ट आने को बाध्य होना पड़ा है। इसलिए न्यायिक अधिकारी वकीलों की भले ही हड़ताल हो न्यायिक कार्य जरूर करें और वादकारी को अदालत में पक्ष रखने के लिए सुरक्षा सुनिश्चित की जाय। कोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दी है।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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