-वादी पक्ष ने भविष्य में संवैधानिक पदों की चादर दरगाह में पेश ना होने देने का किया आग्रह
अजमेर, 4 जनवरी (Udaipur Kiran) । सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने के विचाराधीन वाद के रहते दरगाह के 813 वें सालाना उर्स में संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियाें की ओर से चादर पेश करने पर रोक लगाने के मामले में शनिवार को अजमेर सिविल न्यायालय में कोई विचार नहीं हुआ। वादी पक्ष ने इस मामले में 24 जनवरी को अदालत में निर्धारित तिथि पर सुनवाई के समय ही रोशनी डालने का आग्रह किया।
एडवाेकेट गजवीर सिंह से मिली जानकारी के अनुसार सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के 813 वें उर्स के अवसर पर परम्परानुसार प्रधानमंत्री, विभिन्न राज्यों के मुख्य मंत्री और केंद्रीय मंत्रियों, राज्यपाल की ओर से अकीदत की चादर पेश कर आपसी प्रेम, भाईचारा और सद्भाव की प्रार्थना की जाती है। चूंकि इस बार अजमेर की दरगाह को लेकर हिन्दू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने यहां संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा पेश करते हुए इसके सर्वे कराए जाने व पूजा करने की इजाजत दिए जाने की अदालत से मांग कर रखी है, इस पर अदालत ने संबंधित तीन पक्षों को नोटिस देकर एक बार सुनवाई भी कर ली और सुनवाई के समय दरगाह से जुड़े अन्य पक्षकारों को भी उनकी अर्जियों को अदालत द्वारा स्वीकार कर आगे सुनवाई की अगली तारीफ 24 जनवरी दिए जाने के बीच ही विष्णु गुप्ता द्वारा उर्स में संवैधानिक पदों से आने वाली चादरों के दरगाह में पेश होने पर रोक लगाने की अर्जी भी दायर करने से नया मसला हो गया।
यह अर्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शनिवार 4 जनवरी को पेश की जाने वाली चादर को रोके जाने के संदर्भ में एक दिन पूर्व ही लगाई गई थी जिस पर अदालत ने 4 जनवरी को ही सुनवाई करनी थी किन्तु अदालत में सुनवाई से पहले ही दरगाह में चादर भी पेश हो गई और केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलात एवं संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस मामले में मीडिया को जवाब भी दे दिया । अदालत ने ऐसे में वादी से शनिवार को पूछा कि अब इस अर्जी का औचित्य क्या रहा? जिस पर वादी पक्ष ने अदालत से आग्रह किया कि इस अर्जी को भविष्य में दरगाह में पेश होने वाली संवैधानिक पदों की चादरों के संदर्भ में लेते हुए देखा जाना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि दरगाह में मंदिर होने के मूल वाद के विचाराधीन रहते संवैधानिक पदों की ओर से चादर पेश होती है तो यह एक पक्ष के लिए न्यायोचित नहीं होगा। अदालत से आग्रह किया गया कि यूं भी इस प्रकरण में 24 जनवरी को अदालत में सुनवाई होनी है तब इस विषय पर एक साथ ही रोशनी डाली जाए।
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(Udaipur Kiran) / संतोष