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आरजी कर अस्पताल मामले में किसी भी मध्यस्थ को पीड़िता का नाम और फोटो प्रकाशित करने की अनुमति नहींः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट

– हॉस्पिटल में सीसीटीवी कैमरे लगाने तथा शौचालयों एवं अलग विश्राम कक्षों के निर्माण की धीमी गति पर कोर्ट ने जताया अंसतोष

नई दिल्ली, 30 सितंबर (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि आरजी कर अस्पताल मामले में किसी भी मध्यस्थ को पीड़िता का नाम और फोटो प्रकाशित करने की अनुमति नहीं है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये बातें तब कहीं जब कोर्ट को बताया गया कि सोशल मीडिया पर पीड़िता का नाम और फोटो वाले बहुत सारे पोस्ट हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार को सभी मीडिया से तुरंत संपर्क करना चाहिए।

मृतक लेडी डॉक्टर के परिजनों की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि कल यूट्यूब पर एक फिल्म रिलीज होगी, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि यह पीड़िता पर आधारित है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर आपको फिल्म के रिलीज पर रोक लगवानी है तो आप कानूनी रास्ता अपनाएं। वृंदा ग्रोवर ने कहा अगर नोडल वकील नियुक्त किए जाते हैं तो हम इसकी सूचना उन्हें दे सकते हैं। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय किसी भी अनधिकृत फोटो या वीडियो को अपलोड करने के संबंध में एक नोडल अधिकारी को नोटिफाई करेगा और वो अधिकारी उस फोटो या वीडियो को हटा देगा। वकील महेश जेठमलानी ने कोर्ट को बताया कि पीड़िता का नाम उजागर करने वाले पुलिस कमिश्नर के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई और इस मामले पर हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस पर गौर करेगा।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि सीबीआई की जांच में बहुत महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं। फिलहाल सीबीआई को जांच जारी रखने दें। चीफ जस्टिस ने कहा कि रेप और हत्या के मामले के साथ वित्तीय अनियमितताओं, दोनों पहलुओं पर सीबीआई जांच की है। पश्चिम बंगाल मे डॉक्टरों के एक समूह के लिए पेश वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि घटना के दिन कुछ लोग ऐसे थे, जो पुलिस के पहुंचने से पहले ही घटनास्थल पर पहुंच गए थे।

वकील करुणा नंदी ने कहा कि सीबीआई की रिपोर्ट में वित्तीय अनियमितताओं को लेकर कई लोगों का जिक्र किया गया है और वो लोग उस दिन अपराध स्थल पर भी मौजूद थे। उनमें से तो कई अभी पद पर भी हैं। कम से कम उन्हें जांच पूरी होने तक अस्थायी रूप से निलंबित किया जाना चाहिए। हड़ताल करने वाले जूनियर डॉक्टरों के काम पर लौटने के मामले पर वकील इंदिरा जयसिंह ने कोर्ट को बताया कि सभी जूनियर डॉक्टर काम पर वापस आ गए हैं। उन्होंने कहा कि उन डॉक्टरों की प्रतिष्ठा का क्या होगा। क्योंकि जांच में शामिल सात लोग अभी भी आरजी कर में नौकरी कर रहे हैं और हम केवल उनके अस्थायी निलंबन की मांग कर रहे हैं, वो भी इसलिए ताकि हम विश्वास के साथ काम कर सकें। अगर वे सभी अभी भी अपने पद पर हैं तो हमसे काम करने की उम्मीद कैसे की जा सकती है।

चीफ जस्टिस ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि आप हमें बताएं कि आरजी कर में अभी भी कौन लोग कार्यरत हैं, जिनके खिलाफ जांच चल रही है और जिनके खिलाफ वित्तीय अनियमितताएं होने का आरोप है। चीफ जस्टिस ने कहा कि आखिरकार कोई भी कार्रवाई राज्य सरकार को ही करनी है। ऐसे मे राज्य सरकार के साथ जानकारी साझा करना उचित होगा। चीफ जस्टिस ने डॉक्टरों को आश्वासन देते हुए कहा कि इस समय हम बलात्कार और हत्या के मामले के साथ वित्तीय अनियमितताओं को देख रहे हैं लेकिन आप आश्वस्त रहें कि हम अन्य चीजें भी देख सकते हैं। चीफ जस्टिस ने सीबीआई की ओर से सौंपी गई चौथी स्टेटस रिपोर्ट पर कहा कि जांच में मिले सुरागों और उठाए गए कदमों की जानकारी दी गई है। इस स्तर पर जब जांच प्रगति पर है, रिपोर्ट का ब्यौरा देना उचित नहीं होगा। सीबीआई की जांच का विषय है कि बलात्कार और हत्या के साथ वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के बीच क्या संबंध हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि कई ऐसे व्यक्ति, जिनके विरुद्ध गंभीर आरोप हैं, कॉलेज में पदों पर आसीन हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे व्यक्तियों को या तो निलंबित किया जाना चाहिए या छुट्टी पर जाने का निर्देश दिया जाना चाहिए, इस मामले पर राज्य सरकार को निर्णय लेना है। चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल के वकील ने कहा है कि अगर सीबीआई ऐसे किसी व्यक्ति की कोई जानकारी उनसे साझा करती है तो राज्य कानून के मुताबिक उन पर कार्रवाई करेगा।

चीफ जस्टिस ने पश्चिम बंगाल सरकार से पूछा कि हॉस्पिटल में सीसीटीवी कैमरे और शौचालयों और अलग विश्राम कक्षों के निर्माण आदि के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि हमें निर्माण पूरा करने के लिए और समय चाहिए, क्योंकि राज्य मे बाढ़ की समस्या है और निर्माण सामग्री लाने मे कई परेशानियां हो रही हैं। राज्य सरकार ने बताया कि सीसीटीवी लगाने का लगभग 75 प्रतिशत काम 10 अक्टूबर तक पूरे होने की संभावना है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हम 9 अगस्त से मामले की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। अभी आपका काम आधा भी नहीं हुआ है। इसकी प्रक्रिया इतनी धीमी क्यों है।कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से अगली सुनवाई के दौरान नेशनल टास्क फोर्स की रिपोर्ट भी पेश करने को कहा।

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(Udaipur Kiran) / दधिबल यादव

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