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एनएचआरसी ने आश्रय गृहों की हालत पर जताई चिंता, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के सीईओ को लिखा पत्र 

आश्रय सुधार बोर्ड के सीईओ को एनएचआरसी द्वारा भेजा गया पत्र

नई दिल्ली, 1 जनवरी (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने दिल्ली सरकार के उर्दू पार्क स्थित आश्रय गृहों के स्थलीय निरीक्षण के बाद इसके हालत पर चिंता जताई है।

एनएचआरसी के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने बुधवार को दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) को पत्र लिखकर कुछ व्यक्तियों द्वारा कथित तौर पर रात्रि आश्रय गृहों को स्थायी निवास के रूप में इस्तेमाल किए जाने पर चिंता जताई है। इस संबंध में आयोग ने बोर्ड से सात दिनों के अंदर कार्रवाई की रिपोर्ट देने को कहा है।

आयोग ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 12(ए) के तहत स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले में तत्काल हस्तक्षेप, गहन जांच और उचित सुधारात्मक उपायों के कार्यान्वयन की मांग की है।

कानूनगों ने अपने पत्र के माध्यम से दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड से कहा है कि 30 दिसंबर को उर्दू पार्क स्थिति अस्थाई गृह के निरीक्षण के दौरान कई ऐसे लोग मिले जो पिछले 10-15 सालों से वहां बिना वैध कागजों के रह रहे हैं। इनके रोहिंग्या होने की भी संभावना है। अवैध अप्रवास से जुड़ा मुद्दा काफी संवेदनशील और गंभीर है। लंबे समय तक आश्रय गृह में रहने वाले लोगों सहित कई निवासी पूरी तरह से राज्य द्वारा प्रदान किए गए संसाधनों पर निर्भर हैं, जैसे कि भोजन, रखरखाव, चिकित्सा उपचार और अपने बच्चों की शिक्षा, ये सभी दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित हैं। यह देखा गया है कि इन आश्रय गृहों में रहने वाले व्यक्ति रोजगार, व्यवसाय या श्रम में संलग्न नहीं हैं। उनकी प्राथमिक गतिविधि इन आश्रयों में अपने परिवारों के साथ स्थायी रूप से रहने तक ही सीमित है। इसके साथ इनमें से कई व्यक्ति बिना दस्तावेज वाले प्रवास के बावजूद, मतदाता पहचान पत्र रखते हैं। यह उन व्यवस्थाओं पर चिंता पैदा करता है जिनके कारण ऐसे दस्तावेज़ जारी किए गए हैं। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी चिंताजनक है। इस मामले की तुरंत जांच होनी चाहिए।

कानूनगों ने बोर्ड से अनुरोध किया कि वह नीतिगत ढांचे, प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों और लंबे समय तक चलने वाले कामों की विस्तृत व्याख्या सहित एक व्यापक रिपोर्ट उपलब्ध कराए। इन मुद्दों को हल करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए एक कार्रवाई रिपोर्ट सात दिनों के भीतर ई-मेल के माध्यम से भेजें। —————

(Udaipur Kiran) / विजयालक्ष्मी

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