नैनीताल, 18 जनवरी (Udaipur Kiran) । नैनीताल झील के जल प्रदूषण की गंभीर समस्या को लेकर समाजसेवी एवं सूचना अधिकार कार्यकर्ता हेमंत सिंह गौनिया की शिकायत पर एनजीटी यानी राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने संज्ञान लेते हुए आदेश जारी किए हैं।
एनजीटी ने शिकायत की जांच के लिये उत्तराखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मंडलायुक्त दीपक रावत की एक संयुक्त जांच समिति का गठन किया है। मंडलायुक्त दीपक रावत को इस आदेश के समन्वय और अनुपालन के लिए नोडल प्राधिकरण बनाया गया है। यह समिति मामले की जांच कर एक माह के भीतर तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
समाजसेवी हेमंत गौनिया एवं कई अन्य लोगों के हस्ताक्षरों से एनजीटी एवं देश के प्रधानमंत्री सहित कई अन्य को नैनीताल झील में गंदगी को लेकर शिकायती पत्र भेजा था। एनजीटी ने 14 अक्टूबर 2024 को इस पत्र को एनजीटी अधिनियम-2010 की धारा 14 और 15 के तहत पंजीकृत किया और जल प्रदूषण की समस्या को प्रमुख मुद्दा बताया है और इसे पर्यावरण संरक्षण से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रश्न माना है।
मामले में नगर निगम ग्रेटर मुंबई बनाम अंकिता सिन्हा (2022) के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए एनजीटी ने कहा है कि यह मामला पर्यावरण कानूनों के तहत कार्रवाई की मांग करता है।
समाजसेवी हेमंत सिंह गौनिया पिछले दो वर्षों से नैनीताल झील की सफाई और जल प्रदूषण को लेकर उत्तराखंड और भारत सरकार से शिकायत करते आ रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने कई शिकायती पत्र विभिन्न स्तरों पर दिये हैं और सूचना के अधिकार के तहत जानकारियां भी मांगी हैं। लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। अलबत्ता एनजीटी द्वारा मामले का संज्ञान लिए जाने के बाद झील की सफाई और पर्यावरण संरक्षण के लिए उम्मीदें बढ़ी हैं।
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(Udaipur Kiran) / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी