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एनजीटी ने गंगा यमुना का प्रदूषण कम करने को गम्भीर प्रयास करने के दिए निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट

-महाकुम्भ में स्नान लायक पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हाई पावर कमेटी गठित

-दो माह में गंगा जल की गुणवत्ता पर कमेटी से मांगी रिपोर्ट

प्रयागराज, 26 सितम्बर (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) नई दिल्ली ने जनवरी 25 से होने वाले प्रयागराज महाकुम्भ मेले के दौरान गंगा-यमुना में स्नान लायक जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक हाई पावर कमेटी का गठन का आदेश दिया है और दो माह में गंगा जल की गुणवत्ता पर रिपोर्ट मांगी है।

यह आदेश एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी तथा विशेषज्ञ सदस्य डॉ ए सैंथल की पीठ ने अधिवक्ता सौरभ तिवारी की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

अधिकरण की गठित हाई पावर कमेटी में अध्यक्ष मुख्य सचिव, सचिव जलशक्ति मंत्रालय उप्र, सचिव एमओ ईएफ एवं सीसी, चेयरमैन सीपीसीबी, चेयरमैन उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सदस्य बनाये गये है।

अधिकरण ने कमेटी को महाकुम्भ के दौरान गंगा जल की गुणवत्ता पर विचार करने का निर्देश दिया है। कहा है कि बिना शोधित सीवर गंगा यमुना में न गिरने पाये।अधिकरण ने सीपीसीबी को 10 स्थानों पर निरीक्षण कर हर 15 दिन पर कमेटी को रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। और कमेटी को दो माह में अपनी रिपोर्ट अधिकरण के समक्ष पेश करने को कहा है।

अधिकरण ने कमेटी गठित करने से पहले संयुक्त समिति की 20 मई 24 की रिपोर्ट पर विचार किया। जिसके अनुसार प्रयागराज शहर के 44 नाले सीधे गंगा में जा रहे हैं। कुल 81 नाले है, जो 289.97 एमएलडी सीवेज उत्सर्जित कर रहे। 10 एसटीपी कार्यरत हैं जिनकी शोधन क्षमता केवल 178.31 एमएलडी है। 73.80 एमएलडी गंदा पानी नदी में जा रहा है।

कोर्ट ने सरकार से समयबद्ध कार्ययोजना मांगी थी। जिलाधिकारी प्रयागराज ने 19 सितम्बर 24 को रिपोर्ट दी। कहा नाले बंद किए जायेंगे किन्तु इनका सीवेज कहां जायेगा, इसकी जानकारी नहीं दी गई। अनुमान है कि कुम्भ मेले में 25 करोड़ लोग आयेंगे। पानी नहाने लायक बनाया जाय, इसके लिए कमेटी गम्भीर प्रयास करे। मामले की अगली सुनवाई 29 नवम्बर को होंगी।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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