
•गुजरात सहकारी दूध विपणन महासंघ और जिला सहकारी दूध उत्पादक संघ में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए राज्य सरकार का महत्वपूर्ण निर्णय
गांधीनगर, 28 मई (Udaipur Kiran) । राज्य सरकार ने गुजरात सहकारी दूध विपणन महासंघ (जीसीएमएमएफ) और जिला सहकारी दूध उत्पादक संघ में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। इसके तहत प्रशासनिक-वित्तीय लेखा परीक्षण का ऑडिट वर्ष 2024-25 से नए निर्धारित प्रारूप के अनुसार किया जाएगा। सहकारिता मंत्री जगदीश विश्वकर्मा ने बुधवार को गांधीनगर में कहा कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के दिशा-निर्देश में निरंतरता, पारदर्शिता और संस्थाओं की वास्तविक प्रशासनिक एवं वित्तीय स्थिति का सही आंकलन करने के उद्देश्य से राज्य के महासंघ-दूध उत्पादक संघ के वर्ष 2024-25 के ऑडिट के लिए नवीन प्रारूप निर्धारित किए गए हैं।
निरीक्षण एवं अन्वेषण समिति की 41वीं बैठक के संबंध में जानकारी देते हुए सहकारिता मंत्री जगदीश विश्वकर्मा ने बताया कि अब तक गुजरात सहकारी दूध विपणन महासंघ और जिला सहकारी दूध उत्पादक संघ का ऑडिट वर्ष 1983 के ऑडिट मैनुअल के अनुसार किया जाता था। पिछले 42 वर्षों में इस महासंघ-दूध उत्पादक संघ के टर्नओवर में निरंतर वृद्धि होने तथा अन्य प्रशासनिक कारणों से निर्धारित प्रारूप में संशोधन आवश्यक प्रतीत होने पर विभागीय सेवानिवृत्त अधिकारीगण और सीए फर्म के सुझाव लेकर प्रशासनिक एवं वित्तीय लेखा परीक्षण के लिए नवीन प्रारूप तैयार किए गए हैं।
मंत्री ने बताया कि इस महासंघ-दूध उत्पादक संघ के ऑडिट के लिए लेखा परीक्षण प्रारूप लागू होने से महासंघ-दूध उत्पादक संघ एवं सदस्यों को अनेक लाभ होंगे, जैसे कि इस दूध उत्पादक संघ में कुल सदस्य, पंजीकृत मंडलियों में सदस्य और गैर-सदस्य मंडलियों की जानकारी, दूध खरीद केंद्र, सूचीबद्ध मंडलियां, प्रबंध समिति की चुनाव संबंधी जानकारी, वार्षिक साधारण सभा और उसमें लिए गए निर्णयों की संख्या, भर्ती और पिछले वर्ष के ऑडिटर और वित्तीय ऑडिटर की जानकारी प्राप्त होगी।
इसके अलावा महासंघ-दूध उत्पादक संघ की परियोजना नीति, संस्था के सभी भवन, मशीनरी, वाहन, माल-सामान का स्टॉक, नकद राशि का बीमा, संघ में महासंघ की योजना एवं उत्पादन संबंधी जानकारी, दूध की आय तथा उसका प्राप्ति-संतुलन, दूध और दूध उत्पादों के उत्पादन, बिक्री और कुल दूध निकासी में आने वाले घटक की भी जानकारी उपलब्ध होगी। मंत्री ने आगे बताया कि महासंघ-दूध उत्पादक संघ के लेखा परीक्षण प्रारूप की मदद से संस्था के संयंत्र और उसके उपयोग, श्रमिक अनुबंध, संस्था में होने वाले परिवहन अनुबंध, दूध के अलावा पाँच लाख रुपये से अधिक के खर्च-खरीद के अनुबंध, स्थायी संपत्ति, चल रहे परियोजनाओं का क्रियान्वयन, संस्था द्वारा और संस्था पर हुए सभी न्यायालयीन मामलों की अद्यतन जानकारी तथा संस्था के सर्वेक्षण और लाभ-हानि खाते के गुणोत्तरों की सभी जानकारियां प्राप्त की जा सकेंगी।
यह उल्लेखनीय है कि सहकार विभाग की मुख्य जिम्मेदारी गुजरात राज्य सहकारी मंडल अधिनियम-1961 के अंतर्गत सहकारी संस्थाओं का नियामक प्राधिकरण के रूप में कार्य करना है। इसके तहत नवीन ऑडिट रिपोर्ट से गुजरात के दूध सहकारी संघों के ऑडिट में पारदर्शिता और सटीकता बढ़ेगी, जो राज्य के पशुपालकों के हित में अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगी। राज्य के सभी सहकारी दूध संघों तथा गुजरात राज्य मिल्क मार्केटिंग महासंघ द्वारा नवीन ऑडिट रिपोर्ट को स्वीकार किया गया है।
—————
(Udaipur Kiran) / बिनोद पाण्डेय
