RAJASTHAN

नई शिक्षा नीति भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा की संवाहक : राज्यपाल

दीक्षांत समारोह आयोजित

जयपुर/अलवर, 13 मई (Udaipur Kiran) । राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने कहा है कि विश्वविद्यालय ज्ञान पुंज हैं। यहां विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता के साथ-साथ उनके समग्र विकास पर फोकस होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति संस्कृति और भारतीय ज्ञान परंपरा की संवाहक है।

राज्यपाल बागडे मंगलवार को राज ऋषि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय अलवर के पंचम दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने समारोह में छात्राओं के उत्कृष्ट प्रदर्शन पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि समाज में बदलाव आ रहा है जिससे महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर अपनी श्रेष्ठता साबित कर रही है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के लिए केवल परीक्षा में पास होना या डिग्री लेना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उन्हें आजीविका के लिए हुनरमंद होना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि बौद्धिक क्षमता बढने से पीढियां आगे बढती है। यही भाव नई शिक्षा नीति में समाहित है। नई शिक्षा नीति भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के साथ आधुनिक तकनीक को समाहित किए हुए है जिसको समय की मांग के अनुरूप तैयार किया गया है। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तक के ज्ञान के अलावा नए-नए शोध एवं तकनीकी ज्ञान से अवगत कराए।

उन्होंने शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बच्चों की प्राथमिक स्तर से ही नींव मजबूत की जानी चाहिए। इससे बच्चों का उत्तरोतर शिक्षा के साथ समग्र विकास संभव होगा। उन्होंने इसी संदर्भ में राजस्थानी कहावत पूत पालने में सिखावे का भी उल्लेख किया। उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वाले एवं विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में कम से कम एक-एक पौधा अपने परिजनों के नाम लगाए एवं उसकी सार-संभाल करे जिससे हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के साथ पर्यावरण का संरक्षण होगा। इस दौरान राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ बागडे ने राज ऋषि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय के परिसर में पौधारोपरण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। राज्यपाल बागडे ने संविधान पार्क का अवलोकन कर कहा कि संविधान पार्क से विद्यार्थी आकादमिक शिक्षा के साथ संविधानिक मूल्यों को भी आत्मसात कर सकेंगे।

उपमुख्यमंत्री एवं उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमचन्द बैरवा ने समारोह में मेडल एवं उपाधियां प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित दीक्षान्त समारोह विद्यार्थियों को उपाधि व मेडल प्रदान करने के साथ-साथ राष्ट्र निर्माण में भागीदारी निभाने के लिए प्रेरित करता है।

पर्यावरण एवं वन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संजय शर्मा ने कहा कि युवा पीढी कड़ी मेहनत, सच्ची लगन व दृढ निश्चय के साथ पढाई करके अपने लक्ष्य को प्राप्त कर देश की सेवा में अपनी भागीदारी निभाएं। उन्होंने कहा कि युवाओं को अच्छी व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए केंद्र व राज्य सरकार प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है।

नेता प्रतिपक्ष एवं स्थानीय विधायक टीकाराम जूली ने दीक्षान्त समारोह में उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए महाविद्यालय में शोध कार्य के लिए विधायक निधि कोष से धन उपलब्ध कराने की घोषणा की।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने कहा कि दीक्षान्त शब्द अपने आप में एक अवधि पर्यन्त पर्याप्त ज्ञान अथवा नैपुन्य के एक पडाव का सूचक है। उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए शिक्षा ग्रहण करने की औपचारिक व्यवस्था गुरूकुल परम्परा रही है। शिक्षा की यह परम्परा विद्यार्थियों को भावी जीवन के लिए तैयार करती है।

राज ऋषि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. शील सिंधू पाण्डे ने विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि 6175 लाख रूपये की राशि से विश्वविद्यालय परिसर ग्राम हल्दीना में नवीन कार्य जिसमें अकादमिक भवन, छात्र-छात्रा हॉस्टल, खेल मैदान, विश्वविद्यालय अतिथि गृह, राजकीय आवास निर्माण कार्य प्रगतिरत है।

दीक्षान्त समारोह में परीक्षा वर्ष 2024 में 42742 उपाधि प्रदान की गई। उन्होंने बताया कि 72 पीएचडी शोधार्थियों को डिग्रियां एवं 46 मेडल प्रदान किए गए जिसमें से एक कुलाधिपति पदक, 39 स्वर्ण पदक तथा छह रजत पदक दिए गए।

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(Udaipur Kiran) / रोहित

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