काठमांडू , 22 अगस्त (Udaipur Kiran) । माओवादी द्वारा दस वर्षों तक किए गए सशस्त्र विद्रोह के दौरान हुए अमानवीय घटनाओं के पीड़ित पक्ष को न्याय देने संबंधी ट्रांजिशनल जस्टिस (टीआरसी) विधेयक संघीय संसद के दोनों सदनों ने पारित किया है। यह बिल गुरुवार को संघीय संसद के ऊपरी सदन नेशनल असेंबली द्वारा भी पारित कर दिया गया। इससे पहले प्रतिनिधि सभा ने इस विधेयक को पारित कर दिया था।
राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल द्वारा दोनों सदनों से पारित विधेयक को प्रमाणित करने के बाद, इसे राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा और यह ‘लापता व्यक्तियों की जांच, सत्य तथा निरूपण आयोग अधिनियम’ बन जाएगा। इस कानून में तीसरी बार संशोधन किया गया है।
पिछली बार देश की तीन बडे़ राजनीतिक दलों ने एक साथ खड़े होकर कानून में संशोधन करने में सहमति दिखाई थी, जिसके कारण बिना किसी बाधा के यह बिल सर्वसम्मति से पारित हो गया। 24 जुलाई को यह बिल प्रतिनिधि सभा की कानून, न्याय और मानवाधिकार समिति द्वारा पारित किया गया था। इसके तुरंत बाद, बिल प्रतिनिधि सभा में प्रस्तुत किया गया।
प्रतिनिधि सभा ने भी सामान्य चर्चा के बाद विधेयक पारित कर दिया। समिति में सभी दलों की सहमति के कारण नेशनल असेंबली में विधेयक पर कोई संशोधन प्रस्ताव पंजीकृत नहीं किया गया। संशोधन प्रस्ताव पंजीकृत नहीं होने के कारण गुरुवार को यह विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया।
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(Udaipur Kiran) / पंकज दास / प्रभात मिश्रा