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नेपालः स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को समन

काठमांडू, 18 मई (Udaipur Kiran) । नेपाल की एंटी करप्शन ब्यूरो की तरफ से कथित जमीन घोटाले में स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को समन भेजा गया है।

नेपाल सरकार द्वारा आयुर्वेद विश्वविद्यालय तथा शोध संस्थान बनाने के लिए पतंजलि ट्रस्ट नेपाल को सरकारी जमीन दी गई थी। इस जमीन की खरीद-बिक्री से संबंधित गड़बड़ियों की जांच चल रही है। इस मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो की तरफ से पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल से भी पूछताछ की जा चुकी है।

नेपाल के कंपनी रजिस्ट्रार के दफ्तर में पतंजलि योगपीठ नेपाल और पतंजलि ट्रस्ट नेपाल दोनों ही कंपनियों को गैर नाफामुलक कंपनी के रूप में रजिस्टर्ड किया गया है। इन दोनों ही कंपनियों में स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण संचालक समिति में हैं जबकि नेपाल की तरफ से शालीग्राम सिंह संचालक समिति में हैं।

ब्यूरो के तरफ से प्रवक्ता राजेन्द्र पौडेल ने बताया कि संचालक समिति में होने के कारण रामदेव और बालकृष्ण को समन भेजा गया था लेकिन उनकी तरफ से जून के आखिरी सप्ताह में यह जवाब आया कि नेपाल में हुई सभी खरीद-बिक्री के लिए स्थानीय प्रतिनिधि शालिग्राम सिंह जवाबदेह हैं इसलिए कानूनी रूप से उनसे ही पूछताछ की जाए।

नेपाल सरकार ने कैबिनेट की मंजूरी के साथ पतंजलि योगपीठ नेपाल और पतंजलि ट्रस्ट नेपाल कॉन्जमिन हदबंदी की छूट देते हुए जमीन का आवंटन किया था। आयुर्वेद विश्वविद्यालय, आयुर्वेद शोध संस्थान, योग महाविद्यालय तथा अन्य प्रयोजन के लिए बनेपा जिले में में 61 बीघा, दांग जिले मे 75 बीघा, 22 बीघा, स्यांगजा जिले में 18 बीघा, चितवन में 15 बीघा, जनकपुर में 25 बीघा, बारा और परसा जिले में 50 बीघा और काठमांडू में 11 बीघा जमीन पतंजलि योगपीठ और पतंजलि ट्रस्ट ने अपने नाम पर खरीदा।

इसके दो वर्ष के बाद ही पतंजलि ट्रस्ट नेपाल ने बनेपा में सहूलियत में मिले 61 बीघा जमीन को महंगे दाम पर बेच कर कहीं और जमीन की खरीद की। तत्कालीन नेपाल सरकार ने इस खरीद-बिक्री को अनुमति प्रदान कर दी थी लेकिन नेपाल के जमीन खरीद बिक्री कानून के मुताबिक सरकार द्वारा आवंटित जमीन की बिक्री नहीं हो सकती है।

पतंजलि नेपाल के ट्रस्टी शालिग्राम सिंह की दलील है कि नेपाल सरकार के कैबिनेट से पास होने के बाद जमीन की खरीद-बिक्री की गई है इसलिए इसमें पतंजलि ट्रस्ट और स्वामी रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण को जबरन घसीटा जा रहा है।

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(Udaipur Kiran) / पंकज दास

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