देहरादून, 19 दिसंबर (Udaipur Kiran) । उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी के गीतों और कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद की पुस्तक ‘हिमालयन सिम्फनी’ का गुरुवार को दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के सभागार में भव्य लोकार्पण हुआ। पुस्तक का अनुवाद डॉ. दीपक बिज्लवाण ने किया है। इस अवसर पर आयोजित चर्चा सत्र में साहित्य, संगीत और शिक्षा जगत की कई विद्वानों ने भाग लिया और नेगी जी के गीतों के महत्व पर अपने विचार रखे। ‘हिमालयन सिम्फनी’ न केवल साहित्य प्रेमियों के लिए एक खजाना है, बल्कि यह गढ़वाल की लोककला और संस्कृति को वैश्विक स्तर पर नई पहचान दिलाने का पुल भी बनेगी।
नेगी पहाड़ के लोकजीवन के सच्चे प्रतिनिधि
चर्चा के दौरान प्रो. डी.आर. पुरोहित ने कहा कि नरेन्द्र सिंह नेगी गढ़वाल के लोकजीवन के सच्चे प्रतिनिधि हैं। उनकी रचनाएं पहाड़ की प्रकृति, प्रेम, सामाजिक आंदोलनों और मानवीय संवेदनाओं को जीवंत करती हैं। उनके गीत हर वर्ग के लोगों के दिलों को छूते हैं और गढ़वाली समाज का आईना हैं। उन्होंने कहा कि नेगी के गीतों में टिहरी के विस्थापन से लेकर परदेस गए पति के इंतजार में बिलखती महिलाओं की पीड़ा भी व्यक्त होती है।
प्रो. जयवंती डिमरी ने इस अनुवाद को गढ़वाली साहित्य को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने की खिड़की बताते हुए कहा कि यह प्रयास गढ़वाल के लोकजीवन और सांस्कृतिक मूल्यों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाएगा।
अनुवाद की सराहना और वैश्विक पहचान
प्रो. अरुण पंत ने कहा कि ‘हिमालयन सिम्फनी’ के माध्यम से गढ़वाली साहित्य को वैश्विक पहचान मिलेगी। उन्होंने अनुवादक दीपक बिज्लवाण के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह पुस्तक दुनिया के लिए गढ़वाल के लोकजीवन को समझने का मार्ग प्रशस्त करेगी। डॉ. नंद किशोर हटवाल ने बताया कि अनुवादक ने नेगी जी के गीतों का चयन बहुत सावधानी से किया है, ताकि हर क्षेत्र और विषय को समाहित किया जा सके।
नेगी के गीत गढ़वाल का आईना
लेखक और समीक्षक देवेश जोशी ने कहा कि नेगी के गीत गढ़वाल की सजीव तस्वीर हैं। इनमें पहाड़ के संघर्ष, दर्द और खुशियों की गाथा सुनाई देती है। उन्होंने कहा कि नेगी के गीतों में टिहरी के विस्थापितों की पीड़ा से लेकर दूर देश गए पति के इंतजार में बिलखती विवाहिता का दर्द भी समाहित है।
साझा किए अनुभव
कार्यक्रम में नरेन्द्र सिंह नेगी ने अपने गीतों और कविताओं के सृजन के अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि उनके गीत समाज के हर पहलू को छूने का प्रयास करते हैं। अनुवादक डॉ. दीपक बिज्लवाण ने इस पुस्तक को तैयार करने की प्रक्रिया और चुनौतियों के बारे में बताया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. वीके डोभाल ने किया और अतिथियों का स्वागत चंद्रशेखर तिवारी ने किया। प्रवीन भट्ट ने अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट किए। इस मौके पर साहित्य, संगीत और शिक्षा जगत की कई हस्तियां, शिक्षाविद, लेखक और पाठक उपस्थित रहे।
इस अवसर पर प्रो. उमा भट्ट, डॉ. अतुल शर्मा, देवेंद्र कांडापाल, सोनिया गैरोला और कई प्रमुख साहित्यकार और लेखक उपस्थित थे। आयोजन के दौरान गढ़वाल की सांस्कृतिक विरासत की गूंज और नेगी के गीतों की महक ने पूरे सभागार को भाव-विभोर कर दिया।
(Udaipur Kiran) / कमलेश्वर शरण