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नक्सलियाें ने फिर की शांति वार्ता की पहल, अनुकूल माहाैल बनाने को बताया सरकार की जिम्मेदारी

नक्सलियाें ने शांति वार्ता को लेकर जारी किया दूसरा पर्चा
नक्सलियाें ने शांति वार्ता को लेकर जारी किया दूसरा पर्चा

उत्तर-पश्चिम सब जोनल के प्रभारी रूपेश ने फिर पत्र जारी कर की पेशकश

सबसे पहले हिंसा बंदकर आत्मसमर्पण करें, अन्यथा गंभीर परिणाम हाेंगे: आईजी

जगदलपुर, 9 अप्रैल (Udaipur Kiran) । नक्सलियाें के उत्तर-पश्चिम सब जोनल के प्रभारी रूपेश ने शांति वार्ता को लेकर एक बार फिर आज पर्चा जारी किया है। इस पर्चे में उन्होंने कहा है कि हम शांति वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए हमें अनुकूल माहौल चाहिए। शांतिवार्ता की पेशकश का मुख्य उद्देश्य बस्तर में हो रहे हत्याकांड तुरंत रोकना है। इसके लिए अनुकूल माहौल बनाने की जिम्मेदारी सरकार की भी जिम्मेदारी है, लेकिन सरकार ने हमारे प्रस्ताव को नकार दिया है, ऐसे में वार्ता करना संभव नहीं है। इस पर बस्तर आईजी पी.सुंदरराज ने साफ कर दिया है कि नक्सली सबसे पहले हिंसा बंद कर

आत्मसमर्पण करें, अन्यथा गंभीर परिणाम भुगतने हाेंगे।

सब जोनल के प्रभारी रूपेश ने अपने पत्र में लिखा कि शांति वार्ता हमारे सीसी व एसजडसी के दायरे का विषय है। मीडिया में आने वाले समाचार को देखना और तुरंत अपना प्रतिक्रिया देने में कई तकनीकी अड़चनें हैं। हमारे सीसी द्वारा वार्ता के लिए किए पेशकश को आगे बढ़ाने के प्रयास के रूप में इस पत्र को देखना है। उन्हाेंने लिखा कि शांति वार्ता की पेशकश का मुख्य उद्देश्य बस्तर में हो रहे हत्याकांड काे तुरंत रोकना है। वार्ता की प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अनुकूल माहौल बनाना जरूरी है, यह सरकार की भी जिम्मेदारी है, लेकिन सरकार ने हमारे प्रस्ताव को नकार दिया है, ऐसे में वार्ता करना संभव नहीं है। उन्हाेंने पत्र में लिखा कि हम देश के सभी जनवादी प्रेमियों, बुद्धिजीवियों, मानवाधिकार संगठनों, सामाजिक संगठन व कार्यकर्ताओं, जनपक्षधर पत्रकारों से हम अपील कर रहे है कि शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल निर्मित करने की हमारी मांग के समर्थन में आगे आवें और इस प्रक्रिया को आगे ले जाने की पहल करें।

सब जोनल के प्रभारी रूपेश ने पर्चे के माध्यम से उत्तर-पश्चिम सब जोन के पार्टी कमेटियों, कमांडों व कामांडरों से अनुरोध किया है कि शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने के दिशा में हमारी गतिविधियां रहनी चाहिए। यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि सरकार ने अभी तक हमारे मांग को नहीं मानी है, इस लिए सभी नियम और सावधानियों का सतर्कता के साथ पालन करें। मीडिया के उकसाने वाले प्रचार एवं पुलिस अधिकारियों के उकसाने वाली बयानों का प्रभाव में न आवें। सरकार के तरफ से सकारात्मक संकेत मिलते ही पूर्ण युद्धविराम अमल में आयेंगे। सरकार के रूख पर हम और स्पष्टता के साथ निर्णय लेंगे और बयान जारी करेंगे। उन्हाेंने पर्चे में कहा है कि हम पुलिस जवानों को कभी दुश्मन के तौर पर नहीं देखते हैं। आपकाे समझना है कि हमें आपस में लड़ाने की स्थिति पैदा किया गया है। शांति वार्ता का हमारे प्रयास का समर्थन करें, जनता व हमारे कैडर अपने ही लोग है, हम पर गोली मत चलावें।

पर्चे में कहा गया है कि हमारी केंद्रीय कमेटी तरफ से हाल ही में शांति वार्ता को लेकर एक बयान जारी हुआ था। उस पर छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने भी प्रतिक्रिया दी थी। केंद्रीय कमेटी के अनुकूल माहौल बनाने की मांग से उन्होंने इंकार किया। अनुकूल माहौल के बिना यह वार्ता संभव नहीं है। हम सरकार से फिर एक बार अनुरोध करते हैं कि शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल निर्मित करें। अब सरकार थाे निर्णय लेना चाहिए।

नक्सलियों के शांति वार्ता के प्रस्ताव पर बस्तर आईजी पी.सुंदरराज ने कहा कि सीपी आई – माओवादी संगठन के शांति वार्ता संबंधी पत्र की सत्यता का परीक्षण किया जा रहा है। यदि माओवादी नेतृत्व बस्तर क्षेत्र में शांति के प्रति गंभीर है तो सर्वप्रथम उनको सभी प्रकार की हिंसात्मक गतिविधियों को पूर्ण विराम देना चाहिए। उन्होंने कहा कि माओवादी एक ओर आईईडी विस्फोट एवं हिंसात्मक वारदातों से क्षेत्र के निर्दोष नागरिकों तथा सुरक्षाबल के सदस्यों को जानमाल नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में शांति-वार्ता का प्रस्ताव पेश करना समझ से परे है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में सीपी आई माओवादी संगठन के शीर्ष नेतृत्व एवं माओवादी कैडर्स के सामने हिंसा त्याग कर आत्मसमर्पण करना ही एकमात्र विकल्प शेष है, अन्यथा माओवादी संगठन को गंभीर परिणामों को भुगतना पड़ेगा।

(Udaipur Kiran) / राकेश पांडे

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