बीजापुर, 29 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । नक्सलियाें के दक्षिण सब जोनल ब्यूरो ने आज एक प्रेस नोट जारी कर कहा है कि, इंद्रावती और उदंती राष्ट्रीय उद्यानों के विस्तार और बाघ संरक्षित क्षेत्र घोषित करने के नाम पर सरकार स्थानीय जनता को विस्थापित करने की योजना बना रही है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने देश भर के 56 टाइगर रिजर्व इलाकों में 600 गांवों के लगभग 70 हजार परिवारों को विस्थापित करने का लक्ष्य रखा है।
नक्सली इस आंकड़े को जमीनी हकीकत से कम बताते हुए कहा कि, यह संख्या लाखों में हो सकती है। प्रेस नोट में नक्सलियाें ने केंद्र सरकार पर वन संरक्षण अधिनियम में संशोधन करके आदिवासी क्षेत्रों को कारपोरेट कंपनियों को सौंपने का आरोप लगाया। इसके अनुसार जंगलों और खनिज संसाधनों से भरपूर छत्तीसगढ़ में खनिज संपदा की लूट और कॉर्पोरेट परियोजनाओं के लिए हजारों एकड़ जंगल का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए बुनियादी सुविधाओं के विस्तार के साथ-साथ पुलिस कैंप भी स्थापित किए जा रहे हैं।
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार बीजापुर जिले के कुटरू और भोपालपट्टनम ब्लॉक में स्थित सात पंचायतों के 78 गांवों को अलग-अलग चरणों में खाली कराने का सरकार का प्रस्ताव है। पहले चरण में 22 और दूसरे चरण में 56 गांवों को विस्थापित किया जाएगा। नक्सलियाें का दावा है कि इससे हजारों लोग प्रभावित होंगे, जिनमें से कई के पास ज़मीन के वैध पट्टे भी नहीं हैं, और ऐसे लोगों के पुनर्वास के लिए कोई स्पष्ट योजना नहीं बनाई गई है। माओवादी संगठन का आरोप है कि 2009 में इंद्रावती क्षेत्र को टाइगर रिजर्व घोषित करने के बावजूद वहां रहने वाले लोगों को विस्थापित नहीं किया गया। लेकिन अब सरकार नए सिरे से विस्थापन का प्रयास कर रही है। प्रेस नोट में यह भी बताया गया है कि इसी प्रकार का खतरा नारायणपुर जिले के माड़ क्षेत्र में माड़िया आदिवासियों पर भी खतरा मंडरा रहा है, जहां सैनिक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की योजना है। प्रेस नोट में कहा गया कि इन परियोजनाओं से आदिवासी संस्कृति, पर्यावरण संतुलन और रोजगार पर बुरा असर पड़ेगा।
(Udaipur Kiran) / राकेश पांडे