
जम्मू, 12 नवंबर (Udaipur Kiran) । नटरंग 14 और 15 नवंबर को झिरी मेला में डोगरा लोक नायक बावा जित्तो के सर्वोच्च बलिदान पर एक मेगा नाट्य शो का आयोजन करने जा रहा है। इन दोनों दिनों शो का समय शाम 7 बजे होगा। नटरंग पिछले चौबीस वर्षों से झिरी मेले में बावा जित्तो के शो आयोजित कर रहा है जिसमें लाखों लोग आते हैं। नटरंग द्वारा बावा जित्तो के इन मेगा थिएटर शो की प्रस्तुति को जिला प्रशासन, जम्मू द्वारा समर्थित किया जाता है। यह दर्शकों के लिए सर्वोच्च बलिदान की छह सौ साल पुरानी गाथा को जीने का एक आजीवन अवसर होने जा रहा है जिसे तब से पूरे उत्तर भारत में पीढ़ियों द्वारा सराहा और गाया जाता है।
नटरंग के वरिष्ठ कलाकारों अरविंद आनंद और सुभाष जम्वाल के साथ मीडिया को संबोधित करते हुए पद्मश्री बलवंत ठाकुर ने कहा कि नाटक ‘बावा जित्तो’ भारत का सबसे पुराना समकालीन थिएटर नाटक है जिसका पिछले 39 वर्षों से नियमित रूप से मंचन किया जा रहा है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष के शो में जम्मू के रंगमंच, टेलीविजन और फिल्मों के सबसे प्रसिद्ध कलाकार शामिल होने जा रहे हैं। इस अवसर पर ठाकुर ने जिला विकास आयुक्त जम्मू सचिन कुमार और एसडीएम मढ़ (मेला अधिकारी) अतहर अमीन जरगर को नटरंग द्वारा बावा जित्तो के मेगा शो के आयोजन के लिए पूर्ण सहयोग और रसद सहायता प्रदान करने के लिए धन्यवाद दिया।
बावा जित्तो की कहानी जमींदारों द्वारा भूमिहीन किसानों के शोषण की सदियों पुरानी गाथा को चित्रित करती है। रिश्तेदारों के लगातार और लगातार दबाव के कारण जमीन का एक टुकड़ा विवाद का विषय बनकर, मेहनतकश, खेतीहीन किसान बावा जित्तो को अपना पैतृक गांव छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। अपनी नौ साल की बेटी के साथ वह पास के एक गाँव शामचक में एक दोस्त के घर में शरण लेता है। उसके दोस्त रुल्लो के प्रयासों के परिणामस्वरूप शामचक में जमींदार से उसे जमीन का अनुदान मिलता है और उपज का एक चौथाई हिस्सा भू-राजस्व के रूप में तय किया जाता है इससे लालची जमींदार अपनी बात से मुकर जाता है और फसल का बड़ा हिस्सा मांगता है। असहाय जित्तो अन्याय को सहन करने में असमर्थ होकर आत्महत्या कर लेता है। पीड़ा तब और बढ़ जाती है जब उसकी छोटी बेटी गौरी अपने पिता की चिता पर खुद को जला देती है।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
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