जम्मू, 3 नवंबर (Udaipur Kiran) । नटरंग थिएटर ग्रुप ने जम्मू के रानी पार्क में अपनी साप्ताहिक थिएटर श्रृंखला ‘संडे थिएटर’ के तहत नीरज कांत द्वारा लिखित और निर्देशित हिंदी नाटक घोटाला का मंचन किया। घोटाला आज के युवाओं की कुंठाओं पर एक सशक्त टिप्पणी है जो समाज में गहरी जड़ें जमाए बैठे भ्रष्टाचार और बेईमानी के खिलाफ संघर्ष करते हैं।
नाटक की शुरुआत भ्रष्टाचार और घोटालों के व्यापक प्रभावों से जूझते निराश युवाओं के चित्रण से होती है। विभिन्न दृश्यों के माध्यम से युवा आम जनता की भूमिका पर सवाल उठाते हैं, यह तर्क देते हुए कि नागरिक अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचार में योगदान करते हैं जो सत्ता में बैठे लोगों द्वारा संरक्षित अराजक ताकतों को सशक्त बनाता है। नाटक प्रभावी रूप से इस विचार को उजागर करता है कि जनता की निष्क्रिय स्वीकृति भ्रष्टाचार के चक्र को बनाए रखती है।
घोटाला भ्रष्टाचार के विभिन्न उदाहरणों को कुशलता से सामने लाता है, भ्रष्ट अधिकारियों के बोझ तले दबे एक रेहड़ी-पटरी वाले से लेकर आम लोगों के लिए महंगाई और संघर्ष की वजह से लेकर ट्रेन टिकट खरीदने की कोशिश करने वालों के सामने आने वाली दैनिक चुनौतियों तक। एक दृश्य में तत्काल टिकटों की अनुपलब्धता यह उजागर करती है कि कैसे अधिकारी बिचौलियों के साथ मिलीभगत करते है जो बढ़े हुए दामों पर टिकट बेचकर सिस्टम का फायदा उठाते हैं।
एक और दमदार खंड में एक राजनेता है जो चुनावों के दौरान जनता को उपहारों से रिश्वत देता है और एक अधिकारी जो रिश्वत के पैसे का इस्तेमाल अपने बेटे के कॉलेज में एडमिशन को सुरक्षित करने के लिए करता है। एक ट्विस्ट में अधिकारी का बेटाअपने पिता के मूल्यों से निराश होकर अपने ही घर को लूट लेता है और जब पिता चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराने की कोशिश करता है तो उसे सिस्टम की निरर्थकता का एहसास होता है क्योंकि पुलिस शिकायत दर्ज करने के लिए रिश्वत मांगती है। यह आंख खोलने वाला क्षण पिता को रिश्वतखोरी को पूरी तरह से त्यागने के लिए प्रेरित करता है।
नाटक एक उम्मीद भरे नोट पर समाप्त होता है जिसमें भ्रष्टाचार को खारिज करने और देश के बेहतर भविष्य के लिए प्रतिबद्ध होने का संदेश दिया गया है। घोटाला ईमानदारी की शक्ति की याद दिलाता है तथा दर्शकों से भ्रष्टाचार को नहीं कहने तथा ईमानदारी और न्याय पर आधारित समाज के लिए प्रयास करने का आग्रह करता है।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा