Jammu & Kashmir

नटरंग ने हिंदी नाटक भ्रष्ट तंत्र प्रस्तुत किया

नटरंग ने हिंदी नाटक भ्रष्ट तंत्र प्रस्तुत किया

जम्मू, 15 सितंबर (Udaipur Kiran) । रविवार को नटरंग ने बस स्टैंड, मेंढर में नीरज कांत द्वारा लिखित एवं निर्देशित हिंदी नाटक ‘भ्रष्ट तंत्र’ प्रस्तुत किया। यह नाटक देश के भ्रष्ट प्रशासन पर युवाओं के नजरिए पर आधारित है।

नाटक की शुरुआत भ्रष्टाचार, घोटालों और बेईमानी की दूषित हवा में सांस ले रहे निराश युवाओं की आक्रामकता से हुई। फिर वे इस भ्रष्टाचार के लिए आम लोगों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहते हैं कि भ्रष्टाचार अराजकतावादी तत्वों द्वारा फैलाया जाता है जिन्हें सत्ता में बैठे लोगों का संरक्षण प्राप्त होता है और इस लोकतंत्र में सत्ता स्थापित करने के लिए आम जनता पूरी तरह जिम्मेदार होती है। इस तरह इस भ्रष्ट व्यवस्था में आम लोगों की पूरी भागीदारी सीधे तौर पर सुनिश्चित होती है। फिर बताया जाता है कि भ्रष्टाचार कैसे शुरू होता है। एक सड़क पर फल बेचने वाला व्यक्ति व्यवस्था के भ्रष्ट रखवालों का शिकार बन जाता है और बाजारों में कीमतें बढ़ जाती हैं और आम जनता को इसका बोझ उठाना पड़ता है।

फिर भ्रष्टाचार के विभिन्न दुष्प्रभावों का उल्लेख करते हुए बताया जाता है कि इसका आम लोगों और देश की प्रगति पर क्या प्रभाव पड़ता है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कोई सख्त नियम नहीं हैं। भ्रष्टाचारियों के हौसले दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं और घोटालों की संख्या भी बढ़ रही है। एक अन्य दृश्य में बताया गया है कि रेल यात्रा के लिए आम यात्रियों को तत्काल टिकट उपलब्ध नहीं होते हैं। लेकिन अधिकारियों से मिलीभगत के कारण बिचौलिए कालाबाजारी करते हैं और टिकट खरीदकर ऊंचे दामों पर बेचकर मोटा मुनाफा कमाते हैं। इस ठगी का शिकार यात्री सजगता बरतता है और सतर्कता विभाग को सूचना देकर प्रभारी अधिकारी को गिरफ्तार करवा देता है। इस तरह समस्या का समाधान भी मिल जाता है।

एक ओर नेता चुनाव के दौरान उपहार बांटकर आम जनता को लुभा रहे हैं। इन सब में शामिल अधिकारी रिश्वत से मिले पैसों से अपने बेटे का कॉलेज में एडमिशन करा देता है। लेकिन उसका बेटा अपने पिता को सबक सिखाने के लिए उनके ही घर में चोरी कर लेता है। एक पुलिस अधिकारी बिना रिश्वत के चोरी की रिपोर्ट दर्ज नहीं करता। इस तरह उसे पता चलता है कि रिश्वत के पैसे न होने पर उस व्यक्ति का क्या हश्र होता है। यह पता चलने पर पिता प्रतिज्ञा लेता है कि वह भविष्य में न तो रिश्वत लेगा और न ही देगा। और नाटक इस संदेश के साथ समाप्त होता है कि वे भ्रष्टाचार को नकारेंगे और राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्ध होंगे।

(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा

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