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नाहन की 1948 में स्थापित बिरोजा व तारपीन कारखाना बना रहा विश्व प्रसिद्ध तारपीन तेल व फिनायल

नाहन, 28 जुलाई (Udaipur Kiran) । सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन में 1948 में सरकारी क्षेत्र में बिरोजा व् तारपीन कारखाने को लगाया गया था। यहां पर जहां स्थानीय लोगो को रोजगार मिला वहीं इसकी आमदनी भी बढ़ती गयी। आज यह कारखाना वन निगम के अधीन है लेकिन इनोवेशन के चलते आज यह कारखाना अपने विशुद्ध उत्पादों जैसे तारपीन तेल ,फिनायल के दम पर अच्छी कमाई कर रहा है। विशेषकर यहां पर बने तारपीन तेल व् फिनाइल को विश्व स्तरीय मानकों पर तैयार किया जाता है और ये उत्पाद यहां की पहचान भी बन गए हैं। इसके इलावा यहां पर ब्लैक जापान भी तैयार किया जा रहा है। यह उत्पाद भी उच्च स्तरीय है।

नाहन बिरोजा फैक्ट्री में शिफ्टों में आज भी कार्य किया जा रहा है व इसके उत्पादों को आम लोगो तक पहुंचाने के उदेशीय से एन एच नाहन कुम्हार हट्टी पर कारखाने के बाहर ही विक्रय केंद्र भी स्थापित किया गया है ताकि आम लोगो के साथ साथ पर्यटक भी इन उत्पादों को जान सकें।

कारखाने के महा प्रबंधक ऐ के वर्मा ने बताया कि कारखाने में इनोवेशन के चलते बिरोजा के इलावा इसके बाय प्रोडक्ट्स जैसे तारपीन तेल, फिनायल ,ब्लेक जापान तैयार किया जा रहा है और इससे कारखाने को भर अच्छी आय भी हो रही है और जी एस टी के रूप में करोड़ों की राशि इकठा की गयी है। इसके इलावा यहां का फिनायल हरियाणा व् हिमाचल में पशु पालन विभाग की पहली पसंद रहता है और इनकी इसकी आपूर्ति की जाती है। कारखाने में पक्का बिरोजा अलग से निकाला जाता है व् सहायक उत्पाद इसमें से अलग से बनाये जा रहे हैं। पिछले वर्ष की तुलना में कारखाने में उत्पादन को बढ़ाया जा रहा है। इसके इलावा वन निगम के अधीन होने के कारण यहां कार्यरत कर्मचारियों के वेतन आदि भी कारखाने की आय से ऐडा होते हैं और कारखाना लगातार अपनी आमदनी को बढ़ा रहा है।

वर्मा ने बतायाकि प्रदेश में दो उपक्रम सरकारी क्षेत्र में काम कर रहे हैं एक नाहन व् दूसरी बिलासपुर में है। नाहन में कारखाने में पक्का बिरोजा निकाला जाता है ब तारपीन तेल भी जोकि विश्व स्तरीय गुणवत्ता के उत्पाद हैं ,इसके इलावा बिरोजे से सहायक उत्पाद जैसे फिनायल ,ब्लैक जापान। इन सभी की बहुत मांग रहती है.पिछले वर्ष भी यहां से 5 करोड़ जी एस टी के रूप में आया है। कारखाने में उत्पादन बढ़ाया जा रहा है पिछले वर्ष जहां बिरोजा उत्पादन 16 हजार मीट्रिक तन था इस वर्ष साढ़े 17 हजार रखा गया है।

इसी तरह तारपीन तेल का पिछले वेश उत्पादन 3 लाख 90 हजार था इस वर्ष 3 लाख 95 हजार रखा गया है। यहां के तारपीन व् बिरोजे में अल्फ़ा व् बीटा की मात्रा बहुत है जिस कारण इसकी मांग भी बहुत है। ये सौंदर्य उत्पादों ,दवाओं में प्रयोग होता है और इनकी बहुत मांग भी है। स्थानीय लोगो के लिए एक विक्रय केंद्र फैक्ट्री के बाहर बनाया गया है जहां पर तारपीन तेल ,फिनायल ,ब्लेक जापान आदि उपलब्ध हैं। इसका उदेशीय भी स्थानीय लोगो को लाभ पहुंचाना है।

(Udaipur Kiran)

(Udaipur Kiran) / जितेंद्र ठाकुर शुक्ला

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