
जयपुर, 12 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । राजस्थान में एकीकृत और सतत ग्रामीण समृद्धि सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 4.40 लाख करोड़ के प्राथमिकता क्षेत्र ऋण वितरण का अनुमान लगाया है। ऋण की संभावित राशि पिछले वर्ष के अनुमान की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक है। नाबार्ड द्वारा आयोजित स्टेट क्रेडिट सेमिनार के दौरान राज्य मंत्री, सहकारिता और नागरिक उड्डयन गौतम कुमार दक द्वारा, मंजू राजपाल, आईएएस, प्रमुख शासन सचिव-सहकारिता, बलराज सिंह, वीसी, एसकेएनएयू, जोबनेर, टीकम चंद बोहरा, आईएएस, एमडी -राजफेड और डॉ राजीव सिवाच, मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड की उपस्थिति में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए तैयार किए गए स्टेट फोकस पेपर (एसएफपी) का विमोचन किया गया जो राजस्थान राज्य में भौतिक और वित्तीय, दोनों संदर्भों में, दोहन योग्य जिलावार ऋण वितरण की संभाव्यता का समेकित दस्तावेज़ है।
राज्य मंत्री ने इस सेमीनार अपने संबोधन में नाबार्ड द्वारा तैयाए की गई ऋण योजना और स्टेट फोकस पेपर 2025-26 की सराहना की। साथ ही उन्होंने बैंकों, संबंधित विभागों और अन्य हितधारकों को नाबार्ड द्वारा स्टेट फोकस पेपर में किए गए अनुमानों को प्राप्त करने के लिए एकजुट होकर काम करने की सलाह दी। उन्होनें सहकारिता को प्राथमिकता प्रदान
करने में प्रधान मंत्री जी के नेतृत्व में वर्ष 2021 मे केंद्र सरकार द्वारा अलग से सहकारिता मंत्रालय बनाए जाने को रेखांकित करते हुए कहा कि “सहकार से समृद्धि“ के तहत, केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिनमें प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियों का कंप्यूटरीकरण, नई बहुउद्देश्यीय पीएसीएस की स्थापना, सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना , सहकारिता में सहकार पर राष्ट्रव्यापी अभियान और ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी बैंकों की मजबूती शामिल है।
मंजू राजपाल आईएएस, प्रमुख शासन सचिव, सहकारिता विभाग ने राज्य फोकस पेपर 2025-26 के महत्व पर जोर दिया। श्रीमती राजपाल ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) के कम्प्यूटरीकरण में नाबार्ड के प्रयासों का उल्लेख किया और मई 2025 तक 5,000 पैक्स को गो लाइव करने के सरकार के लक्ष्य को साझा किया।
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ राजीव सिवाच ने स्टेट फोकस पेपर के विषय में बताते हुए कहा कि कुल अनुमानित ऋण संभाव्यता में 47 प्रतिशत कृषि और संबद्ध कार्यों के लिए आकलित किया गया है, एमएसएमई क्षेत्र के लिए 45प्रतिशत और अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों जैसे कि आवास, शिक्षा आदि के लिए 8प्रतिशत आकलित किया गया है। उन्होने बताया कि एसएफपी में आकलित ऋण संभाव्यता का उपयोग वर्ष 2025-26 के लिए वार्षिक ऋण योजना तैयार करने के लिए एक आधार दस्तावेज़ के रूप में किया जाएगा। डॉ. सिवाच ने आगे यह कहा कि कृषि आधारभूत सुविधाओं में निवेश में वृद्धि, कृषि उपज के समूहीकरण, मूल्य संवर्धन और किसानों को किसान उत्पादक संगठनों में संगठित करके कृषि की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है। सेमीनार के दौरान, राज्य में वर्ष 2024-25 के दौरान सहकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने वाली प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स), जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों और कृषक उत्पादक संगठनों को भी सम्मानित किया गया।
—————
(Udaipur Kiran)
