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मुस्लिम संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के पूजा स्थल कानून पर आए अंतरिम फैसले का किया स्वागत

नई दिल्ली, 12 दिसंबर (Udaipur Kiran) । देश के सभी बड़े मुस्लिम संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के पूजा स्थल सूरक्षा कानून पर आज आए अंतरिम फैसले का स्वागत किया है। साथ ही आशा व्यक्त की है कि इससे न केवल शांति व्यवस्था मजबूत होगी बल्कि एकता और भाईचारे को खंडित के लिए की जा रही सांप्रदायिक शक्तियों को भी धक्का लगेगा।

सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फैसले का ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने पूजा स्थल कानून पर स्वागत किया है।

बोर्ड के प्रवक्ता डॉ सैयद कासिम रसूल इलियास ने एक बयान में अदालत के अंतरिम फैसले पर कहा कि इस अधिनियम की मौजूदगी के बावजूद स्थानीय अदालतों ने मस्जिदों और दरगाहों के खिलाफ एक के बाद एक अपील को स्वीकार्य किया और जिस तरह के आदेश पारित किए उससे पूरा कानून अर्थहीन हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ इस मामले में किसी भी प्रभावी और अंतिम फैसले पर अगली तारीख तक रोक लगा दी है, बल्कि सर्वे के आदेश पर भी रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इस पर कोई स्पष्ट फैसला नहीं ले लेता, तब तक कोई नया मामला दर्ज नहीं किया जाना चाहिए।

जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने आज के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को एक बड़ा और महत्वपूर्ण आदेश बताया है। उन्होंने एक बयान में कहा कि उम्मीद है कि इस फैसले से देश में सांप्रदायिकता और अशांति फैलाने वालों पर रोक लगेगी। मामला संवेदनशील है, इसलिए कोर्ट इस पर अपना अंतिम फैसला सुनाएगा। हालांकि यह अंतरिम फैसला भी अपने आप में बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला है क्योंकि कोर्ट ने न सिर्फ मुस्लिम पूजा स्थलों के सर्वे पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है बल्कि अदालतों पर नए मामले दर्ज करने और सुनवाई करने पर भी रोक लगा दी गई है।

मौलाना मदनी ने कहा कि संभल की शाही जामा मस्जिद के सर्वे की आड़ में वहां जो कुछ हुआ या हो रहा है उससे साफ हो गया है कि मस्जिदों और दरगाहों पर मंदिर होने का दावा करके और उनके सर्वे की आड़ में सांप्रदायिक तत्व देश में अशांति फैलाकर सदियों पुरानी शांति और एकता और भाईचारे को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं।

जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने अंतरिम फैसले पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा है कि हमारा उद्देश्य इस देश में शांति-व्यवस्था की रक्षा करना है। हमें अतीत में झांकने से ज्यादा इस देश के भविष्य के निर्माण और इसके विकास में सभी वर्ग के लोगों के समान प्रतिनिधित्व पर पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। मौलाना मदनी ने कहा कि मस्जिद में मंदिर तलाश करने वाले इस देश की एकता और भाइचारे के दुश्मन हैं। जमीअत ने हमेशा सांप्रदायिकता का विरोध किया है और उसने उन दरवाजों को बंद करने के लिए भी सत्तासीन लोगों का बार-बार ध्यान आकर्षत किया है जिन रास्तों पर सांप्रदायिकता का सांप फन मारे खड़ा है। 1991 में यह एक्ट बना और ईश्वर ने चाहा तो हमारे प्रयासों से इस एक्ट का क्रियान्वयन भी होगा।

(Udaipur Kiran) /एम ओवैस/मोहम्मद शहजाद

(Udaipur Kiran) / मोहम्मद शहजाद

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