कानपुर,27 जुलाई (Udaipur Kiran) । मशरूम जैविक खाद का एक मूल्यवान स्रोत है जो बागवानी फसल उत्पादन में उपयोग किया जाता है। मशरूम की खेती विविधता को स्थिरता प्रदान करने और आय बढ़ाने की दृष्टि से लाभकारी है। यह बात शनिवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के पादप रोग विज्ञान विभाग के मशरूम शोध एवं विकास केंद्र में चल रहे छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम समापन के मौके पर विश्वविद्यालय के शोध निदेशक डॉ.पी.के.सिंह ने कही।
उन्होंने कहा कि मशरूम एक पौष्टिक, स्वास्थ्यवर्धक एवं औषधीय गुणों से युक्त रोग रोधक सुपाच्य खाद्य पदार्थ है। मशरूम में उपस्थित पोषक तत्व मानव शरीर के निर्माण, पुनः निर्माण एवं वृद्धि के लिए आवश्यक है। मशरूम के पोषणीय महत्व के अलावा मशरूम का उत्पादन एक बहुत ही लाभकारी उद्यम है। मशरूम उत्पादन हेतु न्यूनतम भूमि आकार की आवश्यकता होती है।
इस मौके पर नोडल अधिकारी डॉ एस के विश्वास ने उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि मशरूम की खेती कर उद्यम अपना कर आत्मनिर्भर बने। मशरूम की खेती कर महिलाएं, बेरोजगार युवक-युवतियों के लिए बेरोजगारी दूर करने के लिए उत्तम साधन है।
विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ खलील खान ने बताया कि यह प्रशिक्षण 22 जुलाई से शुरू होकर आज समाप्त हुआ है। प्रशिक्षण में छात्र, उद्यमी एवं किसानों सहित लगभग 58 प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। अंत में सभी प्रतिभागियों द्वारा परिसर में पौधरोपण भी किए गए।
(Udaipur Kiran) / रामबहादुर पाल / मोहित वर्मा