Uttrakhand

मुंशी प्रेमचंद ने अपने युग को अभय प्रदान कियाः प्रो. नीरजा टंडन

गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय

हरिद्वार, 31 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिंदी साहित्य के महान लेखक और उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद की 144वीं जयंती के अवसर पर गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा वर्तमान समय में प्रेमचंद के साहित्य की प्रासंगिकता विषयक वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार में प्रो. नीरजा टंडन (कुमाऊं विवि), प्रो. अवधेश कुमार शुक्ल (महात्मा गांधी हिन्दी अंतरराष्ट्रीय विवि, वर्धा), प्रो. गुड्डी बिष्ट पंवार (एचएनबी गढ़वाल विवि), प्रो. राखी उपाध्याय (डीएवी कॉलेज,देहरादून) ने ऑनलाइन माध्यम से विशेष व्याख्यान प्रदान किए।

प्रो. नीरजा टंडन ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद ने अपने युग को अभय प्रदान किया और स्थूल मनोरंजन से साहित्य को निकाल कर भारतीय लोक मानस के यथार्थ को अभिव्यक्ति प्रदान की। प्रो. टंडन ने प्रेमचंद से पूर्ववर्ती साहित्यकारों की रचना प्रक्रिया और प्रेमचंद के साहित्य के भेद पर विस्तार से अपने व्याख्यान में प्रकाश डाला।

प्रो. गुड्डी बिष्ट पंवार ने कहा कि प्रेमचंद भारतीय कथा लेखन के महानायक हैं। प्रेमचंद ने मानवीय संवेदना को मुखरता से अपने लेखन में समाहित रहा है। प्रो. पंवार ने कहा ईदगाह, पूस की रात गहन संवेदना की कहानी हैं, इनके माध्यम से हम मानवीय प्रेम और लोक जीवन के सौंदर्य को समझ पाते हैं। प्रेमचंद की आत्मा में मानवतावाद था, इसलिए उन्होनंे गहन मानवीय संवेदनाओं को उकेरा जोकि हमें द्रवित करती है।

प्रो. राखी उपाध्याय ने कहा कि प्रेमचंद के पात्रों का संसार ग्रामीण समाज को समझने की अंतरदृष्टि देता है देश के किसान के जीवन को समझने के लिए प्रेमचंद का कथासाहित्य सबसे अधिक उपयोगी है। प्रो. उपाध्याय ने कहा कि देशज जीवन की विडम्बनाओं और देहात के जीवन की विसंगति को चित्रित करने का महनीय कार्य प्रेमचंद ने किया है इसलिए वे सर्वाधिक सम्प्रेषणशील बन जाते हैं।

वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए प्रो. अवधेश कुमार शुक्ल ने कहा कि प्रेमचंद एक युगपुरुष हैं। उनके विचार अपने युग की विचारधारा बन जाते हैं। प्रेमचंद भारतीय साहित्य के सबसे बड़े साहित्यकार हैं वे जीवन दर्शन के साहित्यकार हैं।

वेबिनार संयोजक हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. मृदुल जोशी ने कहा प्रेमचंद का साहित्य समकाल में प्रासंगिक है। युवा, स्त्री, दलित, किसान और मजदूर जीवन की विडम्बना और चुनौतियों को समझने के लिए प्रेमचंद का साहित्य हमारी मदद करता है और हमे एक समग्र दृष्टि प्रदान करता है। वेबिनार में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. निशा शर्मा ने किया।

(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला / वीरेन्द्र सिंह

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