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शिमला शहर में शौचालय के इस्तेमाल पर पांच रुपये वसूलेगा नगर निगम

फाइल फोटो : शिमला नगर निगम

शिमला, 30 दिसंबर (Udaipur Kiran) । साल की शुरुआत से शिमला के निवासियों को नगर निगम की ओर से सार्वजनिक शौचालय के उपयोग पर शुल्क देने का नया नियम लागू होगा। इस संबंध में नगर निगम हाउस की बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया है। जिसमें अब महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों से भी सार्वजनिक शौचालय के उपयोग पर शुल्क लिया जाएगा। पहले केवल महिलाओं को इस सुविधा के लिए पांच रुपये शुल्क देना पड़ता था, जबकि पुरुषों के लिए यह सेवा नि:शुल्क थी।

हाई कोर्ट के आदेश के बाद लिया गया निर्णय : महापौर

नगर निगम शिमला के महापौर सुरेंद्र चौहान ने इस निर्णय को लिंग समानता की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने सार्वजनिक शौचालयों में महिलाओं और पुरुषों के बीच भेदभाव खत्म करने के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट ने यह निर्देश दिया था कि महिलाओं से शुल्क वसूलने और पुरुषों को नि:शुल्क सेवा देने की नीति लिंग आधारित भेदभाव है। इन आदेशों का पालन करते हुए नगर निगम हाउस ने यह निर्णय लिया है कि शिमला शहर के सार्वजनिक शौचालयों में अब पुरुषों से भी महिलाओं के समान शुल्क लिया जाएगा।

30 प्रमुख शौचालयों पर लागू होगा शुल्क

शहर के 30 सार्वजनिक शौचालयों पर यह शुल्क लागू किया जाएगा। ये वे स्थान हैं जहां स्थानीय लोगों और पर्यटकों की भारी आवाजाही रहती है। महापौर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि इन शौचालयों के रखरखाव और साफ-सफाई के लिए यह शुल्क लिया जाना आवश्यक है। उन्होंने इसे ‘टॉयलेट टैक्स’ की बजाय सेवा शुल्क के रूप में देखा जाने की अपील की। उनका कहना है कि शौचालय में साफ-सफाई और मेंटेनेंस का भी खर्च आता है।

स्थानीय दुकानदारों के लिए मासिक योजना

महापौर ने यह भी बताया कि शहर में मौजूद दुकानदारों और उनके साथ काम करने वाले कर्मचारियों के लिए मासिक शुल्क योजना बनाई जा रही है। इसके तहत प्रत्येक दुकानदार और कर्मचारी को मासिक आधार पर 100 से 150 रुपये का भुगतान करना होगा। इस मासिक योजना के तहत वे शौचालय का असीमित उपयोग कर सकेंगे।

पर्यटकों और आम नागरिकों पर भी लागू होगा शुल्क

आम नागरिकों और पर्यटकों को सार्वजनिक शौचालय का उपयोग करने पर पांच रुपये का शुल्क देना होगा। महापौर ने कहा कि यह शुल्क शहर की साफ-सफाई और सार्वजनिक सुविधाओं के उचित रखरखाव के लिए वसूला जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस शुल्क को किसी भी प्रकार से अतिरिक्त कर के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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