
नैनीताल, 19 मार्च (Udaipur Kiran) । हाई कोर्ट ने पॉक्सो एक्ट एवं दुष्कर्म के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे लालकुआं दुग्ध संघ के अध्यक्ष आरोपित मुकेश सिंह बोरा को कुछ शर्तों के साथ जमानत दे दी है।
न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। एफआईआर में कहा कि पीड़िता जो एक विधवा महिला है 2021 में नौकरी की तलाश में थी। इस दौरान उसने नैनीताल दुग्ध संघ लालकुआं में नौकरी पाने के लिए अभियुक्त मुकेश सिंह बोरा से संपर्क किया जो संघ के अध्यक्ष हैं। अभियुक्त ने उसे स्थायी नौकरी देने के बहाने 10 नवंबर 2021 को जायका होटल, काठगोदाम बुलाया और वहां बलपूर्वक दुष्कर्म किया। आरोप लगाया कि आरोपी ने इस घटना के आपत्तिजनक फोटो और वीडियो बना लिए और उसे धमकी दी कि यदि उसने इस घटना की जानकारी किसी को दी तो वह इसे वायरल कर देगा और उसकी अस्थायी नौकरी भी छीन लेगा। पीड़िता के अनुसार आरोपी ने 26 दिसंबर 2021 को फिर से होटल ज़ायका में बुलाकर दुष्कर्म किया। इसके अलावा आरोपी ने पीड़िता पर अपने दोस्तों के साथ शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डाला लेकिन उसके मना करने पर अभियुक्त के ड्राइवर कमल बेलवाल ने उसे जान से मारने की धमकी दी।
इसके अलावा, अभियुक्त पर यह भी आरोप है कि उसने पीड़िता की नाबालिग बेटी का भी यौन उत्पीड़न किया। इस संबंध में अभियुक्त के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम की धारा जोड़ी गई।
अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें
अभियुक्त के वरिष्ठ अधिवक्ता ने दलील दी कि एफआईआर में अत्यधिक देरी हुई क्योंकि कथित घटनाएं 2021 में हुईं, लेकिन मामला सितंबर 2024 में दर्ज हुआ। उन्होंने कहा कि पीड़िता द्वारा अपने बयान में बार-बार बदलाव किया गया, जिससे मामले की सत्यता पर संदेह उत्पन्न होता है। वहीं सरकार की ओर से कहा गया कि मामले में पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हैं और अभियुक्त द्वारा जांच में सहयोग नहीं किया गया।
न्यायालय का निर्णय
सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अभियुक्त मुकेश सिंह बोरा को जमानत देने का निर्णय लिया। हालांकि न्यायालय ने कठोर शर्तें लागू की हैं-
अभियुक्त जांच एजेंसी के साथ पूरा सहयोग करेगा और जब भी आवश्यक हो, जांच में उपस्थित होगा। अभियुक्त किसी भी प्रकार से पीड़िता या उसकी नाबालिग बेटी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने का प्रयास नहीं करेगा। अभियुक्त बिना न्यायालय की अनुमति के देश नहीं छोड़ सकेगा। यदि अभियुक्त के पास पासपोर्ट है, तो उसे न्यायालय के समक्ष जमा करना होगा। यदि पासपोर्ट नहीं है, तो इस संबंध में हलफनामा दाखिल करना होगा।
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(Udaipur Kiran) / लता
