शिमला, 4 दिसंबर (Udaipur Kiran) । उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है कि सहकारिता विभाग में रिक्त चल रहे करीब 900 पदों को भरने के लिया भविष्य में रणनीति बनाई जाएगी। 1789 सहकारी समितियों के कंप्यूटरीकरण के लिए बजट जारी कर दिया गया है ताकि सभाओं के कार्यप्रणाली में तीव्रता और गुणवत्ता आए।
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री बुधवार को शिमला के मशोबरा में प्रदेश सहकारी समितियों और हिमकोफेड के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय राज्य स्तरीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। मुकेश अग्निहोत्री ने इस सम्मेलन में बतौर मुख्यातिथि शिरकत की।
उन्होंने कहा कि जिस तरह हमारी सरकार ने परिवहन और एचआरटीसी को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नए कदम उठाए हैं, उसी प्रकार सहकारिता विभाग को भी अधिक कार्यशील बनाना है। आज एचआरटीसी के बेड़े में इलेक्ट्रिक बसें और नई डीजल बसों को शामिल किया जा रहा है। उसी तरह सहकारिता विभाग में नए कदम उठाए जाएंगे।
इस दो दिवसीय सम्मेलन में जिन मुद्दों और सुझावों पर चर्चा होगी, उन्हीं के मुताबिक नए कानून और रणनीतियां बनेगी। उन्होंने कहा कि आगामी वित्तीय वर्ष के बजट में सहकारिता क्षेत्र के सुदृढ़ीकरण के लिए नए कानून प्रस्तावों को विधानसभा में पारित करवाया जाएगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार सहकारी समितियां है। इसी तरह आत्मनिर्भर हिमाचल बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक समय था जब लोगों का सपना कॉरपोरेटर बनना होता था, क्योंकि उस समय सहकारी समितियों का रुतबा काफी बड़ा होता था। आज प्रदेश का लगभग 4500 करोड़ रुपये सहकारी क्षेत्र में जमा हैं।
उन्होंने कहा कि देश में सहकारिता आंदोलन का जनक हिमाचल प्रदेश है। ऊना जिला के रहने वाले हीरा सिंह ने पहली सहकारी समिति 1892 में बनाई थी। उन्होंने कहा कि हीरा सिंह की दूरदर्शिता और नेतृत्व को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि उनके कार्य को देश ने नई दिशा दी है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश भर में हर पांच में से एक व्यक्ति सहकारी समिति से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियां इस बात का ध्यान रखें, कि उनके पास जमा पैसा आम जनता का है, वह किसी सचिव या सोसायटी का पैसा नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में हिम फेड, वूल फेड, मिल्क फेड जैसी फेडरेशन न आना चिंता का विषय है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इन फेडरेशन पर शिकंजा कसा जाए। इसके साथ ही निजी और सरकारी बैंकों के प्रतिनिधियों को भी इस सम्मेलन में आना चाहिए। उन्होंने कहा कि बैंकों का आधार सहकारिता समितियां ही हैं।
उन्होंने कहा कि अधिकारी व कर्मचारी अपने कार्य को लेकर संजीदा रहें। जो कार्य आपको दिया गया है उसका निर्वहन ईमानदारी से करें ताकि लोगों के दिलों में आपके कार्य की पहचान बन पाए। इस सम्मेलन में नाबार्ड, सहकारिता विभाग और अन्य हितधारक शामिल रहें।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा